हिमाचल प्रदेश में सभी बागवानों को एचपीएमसी और हिमफेड से ही नहीं, बल्कि खुले बाजार से खरीदे सेब कार्टन और ट्रे पर भी जीएसटी पर अब छह फीसदी उपदान मिलेगा। एक अप्रैल 2022 के बाद की गई खरीद पर ही यह उपदान मिलेगा। कार्टन और ट्रे पर जीएसटी 18 फीसदी है। उपदान के बाद यह 12 फीसदी ही देना होगा। छह फीसदी उपदान का वहन राज्य सरकार करेगी।
सरकार ने कीटनाशकों, फूंदनाशकों और अन्य दवाओं पर उपदान की पुरानी व्यवस्था बहाल कर दी है। अब सारी दवाएं उद्यान विभाग के केंद्रों में ही मिलेंगी। यह सुविधा पिछले कुछ समय से बंद थी। बागवानों को बाहर से दवाएं खरीदकर उपदान के लिए दस्तावेज जमा करने होते थे। पहले यह केवल चार हजार रुपये सालाना ही तय था।
मुख्य सचिव आरडी धीमान की अध्यक्षता में बनी सचिवों की कमेटी की सचिवालय में शनिवार को हुई बैठक में ये फैसले लिए। इस कमेटी की घोषणा मुख्यमंत्री ने बागवानों के साथ हुई बैठक में की थी। राज्य में बागवानी बोर्ड का गठन किया जा सकता है, यह मामला सरकार के विचाराधीन है।
मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हुई बैठक में तय हुआ है कि जीएसटी पर छह फीसदी उपदान राज्य सरकार के बागवानी विभाग और एचपीएमसी उपलब्ध करवाएंगे। बागवान संबंधित उद्यान विभाग के कार्यालय जाकर एक प्रारूप पर आवेदन देंगे, जिनके साथ जीएसटी बिल की कॉपी, बिक्री प्रमाण या परिवहन वस्तु रसीद या बाजार शुल्क की प्रति उपलब्ध करवाएंगे। उनके आधार युक्त बैंक खातों में जीएसटी का उपदान लाभ एचपीएमसी के माध्यम से सरकार सीधे देगी। यह उपदान एचपीएमसी की ओर से बेचे गए कार्टन और ट्रे पर भी दिया जाएगा। यह सारा जीएसटी खर्च प्रदेश सरकार वहन करेगी।
एचपीएमसी को निर्देश हैं कि इस बार सेब सीजन में कम से कम एक करोड़ पेटियों की पैकेजिंग सामग्री के आवंटन की तैयारी की जाए, ताकि बागवानों को असुविधा नहीं हो।
मुख्य सचिव ने बागवानी विभाग को निर्देश दिए हैं कि सरकार की ओर से 8.65 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं। इस धनराशि का तत्काल सेब बागवानों को भुगतान किया जाए। 2021 तक एमआईएस की अदायगी को चुकता कर दिया जाए। सरकार और भी बजट देगी। एंटीहेलनेट और बागवानी से संबंधित अन्य उपकरणों के उपदान की अदायगी विभाग जैसे ही कर लेगा, उसे तुरंत अतिरिक्त बजट भी जारी होगा।