नीली ढींगरी किस्म औषधीय गुणों से भरपूर है। इस मशरूम में 52.4 प्रतिशत शर्करा, 23.6 प्रतिशत प्रोटीन, 12.9 प्रतिशत रेशा और 2.2 प्रतिशत वसा है। इसमें फाइबर की मात्रा भी अच्छी है। नीली ढींगरी लीवर के रोगियों के लिए बहुत लाभदायक है। कोलेस्ट्रोल कम करने में भी सहायता करेगा। दिल और दिमाग के लिए अच्छा है। हड्डियां भी स्वस्थ रखेगा।
औद्यानिकी एवं वानिकी महाविद्यालय नेरी, हमीरपुर में मशरूम की नई किस्म उगाने में सफलता मिली है। विज्ञानियों ने इसे नीली ढींगरी नाम दिया है। इसकी बनावट ढींगरी मशरूम से कुछ अलग होगी। यह स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है ही, किसानों की जेब भी भरेगा। इस पर शोध विज्ञानी राजेंद्र जरियाल ने किया है। इसमें संस्थान के छात्रों का भी सहयोग रहा है।
नीली ढींगरी मशरूम का आकार कुछ बड़ा है। इस कारण उत्पादन भी ज्यादा होगा। शुरुआती अवस्था में इसकी कलियां नीले रंग की होंगी। पूरी तरह तैयार होने पर सफेद हो जाएंगी। अब विज्ञानी पता लगा रहे हैं कि हिमाचल के मौसम में कहां-कहां इसका उत्पादन अधिक हो सकता है। साथ ही यह विधि किसानों तक पहुंचाई जा रही है। इससे वे इसका उत्पादन शुरू करें और अधिक लाभ कमा सकें।
यह देखा जाता है कि कार्यालय में काम करने वाले लोग ज्यादा धूप नहीं ले पाते और उनमें विटामिन डी की कमी हो जाती है। ऐसे में नीली ढींगरी मशरूम उनके लिए काफी लाभदायक साबित होगा|
औद्यानिकी एवं वानिकी महाविद्यालय नेरी में मशरूम की नई किस्म तैयार की है। इस किस्म में कई रोगों से बचाने की क्षमता है। इस किस्म को तैयार करने में संस्थान के विज्ञानियों के साथ छात्रों का भी योगदान है। इसे उगाने की विधि लोगों तक पहुंचाई जाएगी, जिससे इसे उगाकर वे अपनी आर्थिकी मजबूत कर सकें।