अरबी की खेती खरीफ और रबी दोनों मौसम में की जाती हैं। खरीफ की फसल की बुवाई जुलाई माह में की जाती हैं। जो दिसंबर और जनवरी महीने तक तैयार हो जाती है। वहीं रबी सीजन की फसल अक्टूबर महीने में लगाई जाती हैं, जो अप्रैल और मई माह में तैयार हो जाती हैं।
अधिक पैदावार के लिए इसकी खेती के लिए गहरी उपजाऊ व अच्छे जलनिकास वाली दोमट भूमि उपयुक्त हैं। यह गर्म मौसम की फसल है, इसे गर्मी और बरसात दोनों मौसम में उगा सकते हैं। इसकी खेती करने से पहले इसके लिए खेत को अच्छे से तैयार करना होता है। खेत तैयार करने के लिए पहले एक बार मिट्टी पलटने वाले हल से 2 से 3 बार गहरी जुताई करनी चाहिए।
खेती के लिए भूमि तैयार करते समय 200 से 250 क्विंटल गोबर की खाद प्रति हेक्टेयर की दर से अरबी की बुवाई के 15 से 20 दिन पहले खेत में मिला देनी चाहिए। अरबी की बुवाई समतल या मेड़ पर की जाती है। इसके लिए तैयार खेत में पहले मेड़ को तैयार करना होता है। पहले से तैयार खेत में एक से ड़ेढ फीट की ऊंचाई रखते हुए मेड़ को तैयार करें। क्यारियों का पहले से तैयार खेत में तैयार करना होता है।
तैयार खेत में 45 सें.मी की दूरी पर मेड़ बनाकर दोनों किनारों पर 30 सें.मी की दूरी पर इसके कंदों की बुवाई करें। बुवाई के बाद कंद को मिट्टी से अच्छी तरह से ढंक देना चाहिए।
क्यारियों में बुवाई के लिए तैयार समतल खेत में पंक्ति से पंक्ति की आपसी दूर 45 सें.मी रखते हुए क्यारियों को तैयार करें। पौधें की दूरी 30 सें.मी और कंदों की 05 सें.मी की गहराई पर बुवाई करें।
अरबी की उन्नत किस्में / अरबी की उन्नत खेती अरबी की किस्मों में पंचमुखी, सफेद गौरिया, सहस्रमुखी, सी-9, सलेक्शन प्रमुख हैं। इसके अलावा इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के द्वारा विकसित इंदिरा अरबी – 1 किस्म छत्तीसगढ़ के लिए अनुमोदित है, इसके अतिरिक्त नरेंद्र अरबी-1 अच्छे उत्पादन वाली किस्मे है।
अरबी की खुदाई उसकी किस्मों के अनुसार उचित समय पर निर्भर करती है। अरबी की फसल 130 से 140 दिन में पककर तैयार हो जाती है। कंदों को संपूर्ण तैयार होने के बाद ही खोदना चाहिए।
अरबी के किस्मों एवं खेती के तकनीक के आधार पर इसकी उपज 150 से 180 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक होती है। अरबी का भाव कभी 20 से 22 रूपए किलो तक होता हैं, तो कभी 8 से 10 रूपए प्रति किलो ही इसके भाव मिल पाते हैं। ऐसे में यदि फसल का अच्छा भाव मिल जाता हैं तो प्रति एकड़ 1.5 से 2 लाख रूपए की कमाई हो जाती हैं।