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उत्तर प्रदेश – हरियाणा : खुले बाज़ार में गेहूँ के दाम अधिक होने से सरकारी केन्द्रों पर आवक कम

उत्तर प्रदेश के 6000 क्रय केंद्रों पर गेहूं की खरीद एक अप्रैल से शुरू हो गई है। गेहूं की खरीद 15 जून तक चलेगी। सरकार ने रबी विपणन वर्ष 2022-23 के लिए गेहूं का एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) 2015 रुपए प्रति कुन्तल तय किया है। किसान सरकारी खरीद केन्द्रों की बजाय आढ़तियों और फ्लोर मिल मालिकों को अपनी उपज बेच रहे हैं|

उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ- सरकार ने रबी मार्केटिंग सीजन 2022-23 के लिए 60 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीद का लक्ष्य रखा है. राज्य में 15 जून तक गेहूं की खरीद होगी|

किसानों का कहना है कि पिछले साल के मुकाबले गेहूं की एमएसपी में 45 रुपए की बढ़ोतरी हुई है और यह फिलहाल 2015 रुपए प्रति क्विंटल है| लेकिन रख-रखाव के नाम पर 20 रुपए प्रति क्विंटल की कटौती हो रही है| ऐसे में किसानों को 1995 रुपए का भाव मिल रहा है| वहीं खुले बाजार में किसान 2030 से 2050 रुपए प्रति क्विंवट का भाव पा रहे हैं| यहीं कारण है कि राज्य की प्रमुख मंडियों में आवक कम है|

खुले बाजार में किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य से बहुत ज्यादा भाव नहीं मिल रहा है, लेकिन वे मंडी जाने से बच रहे हैं| किसानों ने बताया कि डीजल की कीमतों में बढ़तोरी के कारण मंडी तक जाने का खर्च काफी बढ़ गया है| वहां इंतजार भी करना पड़ता है| लेकिन खुले बाजार में व्यापारी या आटा मिल वालों को बिक्री करने में इस प्रकार की दिक्कत नहीं है| रख-रखाव के नाम पर कटौती भी नहीं हो रही| इन्हीं सब बातों को देखते हुए किसान खरीद केंद्रों की बजाय खुले बाजार में अपनी उपज को बेचना पसंद कर रहे हैं|

खरीद कार्यों से जुड़े अधिकारी मंडियों में कम आवक की अलग वजह बताते हैं| अभी फसल की कटाई पूरी नहीं हुई है| कई जगह अभी शुरुआती चरण में है| आने वाले सप्ताह में हम उम्मीद कर रहे हैं कि मंडियों में आवक बढ़ेगी|

सरकार ने एमएसपी में बढ़ोतरी की है| सरकारी केंद्रों पर खरीद कार्य में पूरी पारदर्शिता बरती जा रही है| खरीद के बाद किसानों के बैंक अकाउंट में पैसे भेजे जा रहे हैं| इससे किसानों को लाभ मिल रहा है|

अधिकारी भले ही एमएसपी में बढ़ोतरी की बात को किसानों के लिए फायदेमंद बता रहे हैं, लेकिन किसान इसे नाकाफी करार दे रहे हैं| किसानों का कहना है कि एमएसपी बाजार मूल्य से कम है| सरकार को बढ़ी हुई लागत के बारे में भी सोचना चाहिए| डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी से जुताई से लेकर सिंचाई और कटाई तक का काम महंगा हो गया है|

ऐसा ही नज़ारा हरियाणा का भी है | जिले की अनाज मंडियों में सरकारी एजेंसियों की ओर से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर गेहूं और सरसों की सरकारी खरीद शुरू होने के बावजूद एजेंसियों की झोली पूरी तरह नहीं भरी। खुले बाजार में इन दोनों फसलों का भाव किसानों को अच्छा मिल रहा है। केंद्र सरकार की ओर से इस बार के लिए एमएसपी क्रमश: गेहूं के लिए 2015 रुपये प्रति क्विंटल और सरसों के लिए 5050 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया हुआ है। रेवाड़ी की मंडी में किसानों का गेहूं 2086 रुपये प्रति क्विंटल, सरसों 6654 रुपये प्रति क्विंटल और जौ 3050 रुपये प्रति क्विंटल भाव पर बिका।

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