एक अनुमान के मुताबिक, करीब 20 करोड़ किसान खरीफ फसलों की खेती करते हैं| इस सीजन में मुख्य रूप से धान, कपास, मक्का, सोयाबीन, बाजरा और मूंगफली जैसी फसलों की खेती होती है| मूंगफली एक तिलहनी फसल है और इसकी खेती को सरकार प्रोत्साहित कर रही है और किसानों को मदद भी दे रही है|
समय मूंगफली की बुवाई का सही समय होता है, बुवाई करते समय बीज शोधन जरूर कर लेना चाहिए। मूंगफली के साथ दूसरी फसलें भी लगा सकते हैं|इससे जमीन की मात्रा संतुलित रहती है।
मूंगफली की बुवाई प्रायः मानसून शुरू होने के साथ ही हो जाती है। उत्तर भारत में यह समय सामान्य रूप से 15 जून से 15 जुलाई के मध्य का होता है। इसके लिए शुष्क जलवायु की आवश्यकता होती है, मूंगफली की खेती के लिए दोमट बलुअर, बलुअर दोमट या हल्की दोमट भूमि अच्छी रहती है, जायद में मूंगफली की फसल के लिए भरी दोमट भूमि का चुनाव नहीं करना चाहिएI यह आलू, मटर, सरसो और गेहूं की कटाई के बाद खाली भूमि में की जा सकती है।
प्रजातियां- जायद के लिए जो प्रजातियां है- डीएच-86, आईसीजीएस-44,आईसीजीएस-1, आर-9251, टीजी37, आर-8808 प्रमुख हैं|
कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक, मूंगफली की बुवाई के लिए कम वर्षा वाले क्षेत्रों में भी 2-3 बार सिंचाई करना जरूरी है| मूंगफली की फसल में फल और फूल आने पर सिंचाई जरूर करनी चाहिए| मूंगफली की फसल में खर-पतवार और कीट की समस्या रहती है| ऐसे में शुरुआत से ही किसान भाई इनका नियंत्रण करते रहे|