नई दिल्ली: खाद्य तेल उद्योग संगठन सीओओआईटी (COOIT) ने खाद्य तेल के घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने और आयात पर निर्भरता कम करने के लिए सरकार से देश में सरसों की खेती को बढ़ावा देने की मांग की है| सीओओआईटी ने सरकार से स्थानीय तिलहन प्रसंस्करणकर्ताओं के हितों की रक्षा के लिए कच्चे और रिफाइंड खाद्य तेलों के बीच उचित आयात शुल्क अंतर बनाए रखने का भी अनुरोध किया| उद्योग संगठन राजस्थान के भरतपुर में 12-13 मार्च तक अपना 42वां वार्षिक सम्मेलन आयोजित करेगा ताकि चालू रबी (सर्दियों में बोई गई) सत्र में सरसों के उत्पादन के अनुमान को अंतिम रूप दिया जा सके|
सम्मेलन में घरेलू प्रसंस्करणकर्ताओं के सामने आने वाली, उच्च वैश्विक कीमतें और मूल्य के संदर्भ में बढ़ते आयात जैसे अन्य चुनौतियों पर भी विचार-विमर्श किया जाएगा| सीओओआईटी ने एक बयान में कहा, ‘तिलहन, तेल व्यापार और उद्योग’ पर 42वें अखिल भारतीय रबी संगोष्ठी में कई केंद्रीय और राज्य मंत्री, सरकारी अधिकारी, कृषि वैज्ञानिक, उद्योग जगत के अग्रणी लोग और प्रगतिशील किसान भी शामिल होंगे| इस कार्यक्रम का आयोजन सरसों तेल उत्पादक संघ (मोपा) और भरतपुर ऑयल मिलर्स एसोसिएशन (बीओएमए) द्वारा किया जाएगा| सम्मेलन के दौरान, सीओओआईटी फसल वर्ष 2021-22 (जुलाई-जून) के लिए खेती के रकबे, प्रति हेक्टेयर उपज और सरसों के उत्पादन के अनुमान की घोषणा करेगा| सरसों दाना रबी के मौसम में ही उगाए जाते हैं और बुवाई अक्टूबर से शुरू होती है, जबकि कटाई फरवरी के अंत से शुरू होती है|
सरसों मुख्य रूप से राजस्थान, हरियाणा, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में उगाई जाती है| सीओओआईटी के अध्यक्ष सुरेश नागपाल ने कहा, ‘‘हम इस रबी सत्र में रिकॉर्ड सरसों के उत्पादन की उम्मीद कर रहे हैं| किसानों ने इस फसल को अधिक रकबे में लगाया है क्योंकि उन्हें पिछले साल की फसल से बेहतर कीमत की प्राप्ति हुई है|”
उन्होंने कहा कि तेल उद्योग, घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने और आयात पर निर्भरता कम करने की रूपरेखा तैयार करेगा| बोमा के अध्यक्ष के के अग्रवाल ने कहा, ‘‘सरसों के खेती के रकबे को बढ़ाने की काफी गुंजाइश है| चूंकि सरसों दाना में तेल की मात्रा सोयाबीन के बीज की तुलना में काफी अधिक है, इसलिए सरकार के लिए इस फसल की खेती को प्रोत्साहित करना जरूरी है.”| भारत खाद्य तेलों की अपनी कुल घरेलू मांग का लगभग 60-65 प्रतिशत आयात करता है|
तेल वर्ष 2020-21 (नवंबर-अक्टूबर) में देश का आयात 1.3 करोड़ टन पर स्थिर रहा| हालांकि, मूल्य के संदर्भ में, आयात काफी बढ़ गया और यह पिछले वर्ष के लगभग 72,000 करोड़ रुपये के आयात की तुलना में बढ़कर 1.17 लाख करोड़ रुपये की ऊंचाई पर पहुंच गया| सीओओआईटी ने कहा कि वह सरकार से स्थानीय प्रसंस्करणकर्ताओं के हितों की रक्षा के लिए कच्चे और रिफाइंड खाद्य तेल के बीच उचित आयात शुल्क अंतर बनाए रखने की मांग कर रही है| वर्ष 1958 में स्थापित, सीओओआईटी, देश में संपूर्ण वनस्पति तेल क्षेत्र के हितों का प्रतिनिधित्व करने वाला शीर्ष निकाय है|