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मुर्गी पालन : कम लागत में कमाएं लाखों का मुनाफा, सरकार भी करती है मदद

मांस और अंडे की उपलब्धता को पूरा करने के लिए मुर्गी पालने के व्यवसाय को मुर्गी पालन कहा जाता है। मुर्गी पालन का व्यवसाय आजकल काफी जोरों से चल रहा है। यह एक ऐसा व्यवसाय है। जो आपको अतिरिक्त आय के साधन उपलब्ध कराता है। इस व्यवसाय से आप आसानी से लाखों रुपए का मुनाफा कमा सकते हैं।

इस व्यवसाय को शुरू करने के लिए किसी डिग्री अथवा विशेष शैक्षणिक योग्यता की जरूरत नहीं होती है। इसके लिए आपको थोड़ी पूंजी और मेहनत की आवश्यकता होती है। कोई भी व्यक्ति आराम से मुर्गी पालन व्यवसाय शुरू कर सकता है।

मुर्गी पालन व्यवसाय पशुपालन विभाग के अंतर्गत आता है। जिसका उद्देश्य खाद्यान्नों में मीट और अंडे को बढ़ावा देना है।

आज भारत में करीब 90 लाख लोग मुर्गी पालन व्यवसाय से जुड़े हैं। जिससे उन्हें अतिरिक्त आय के साधन मिल रहे हैं। और हर वर्ष सकल घरेलू उत्पाद में 70 हजार करोड़ से भी ज्यादा का योगदान दे रहे हैं।

मुर्गी पालन व्यवसाय शुरू करने से निम्न लाभ प्राप्त होंगे –
भारत में यह व्यवसाय व्यवस्थित और बृहद स्तर पर अभी नहीं शुरू हो सका है। इसलिए इस व्यवसाय को शुरू करने के लिए सरकार द्वारा कई तरह की योजनाओं का लाभ भी प्रदान किया जा रहा है।

मुर्गी पालन व्यवसाय की स्थापना से कई अन्य बेरोजगारों को भी विभिन्न प्रकार का काम मिल जाता है।
मुर्गी पालन से उत्पादित वस्तुओं की खपत तो बहुत अधिक मात्रा में है। इसलिए इस वजह से आप अच्छा खासा लाभ कमा सकते हैं।
इस व्यवसाय के द्वारा आप धन कमा कर आसानी से लोन का भुगतान कर सकते हैं।

मुर्गी पालन शुरू करने के लिए सबसे आवश्यक सही और साफ सुथरी जगह पर होना है। जमीन मुर्गी पालन व्यवसाय शुरू करने के लिए यह इस व्यवसाय का सबसे महंगा हिस्सा है।

पोल्ट्री फार्मिंग कारोबार को बढ़ावा देने के लिए सरकार लोन तो देती है साथ ही लोन पर सब्सिडी भी दी जाती है|
मुर्गी पालन के लिए सरकार 25 परसेंट तक सब्सिडी देती है| एससी/एसटी वर्ग के लोगों के लिए यह सब्सिडी 35 फिसदी तक है| नाबार्ड मुर्गी पालन पर सब्सिडी देता है| मुर्गी पालन के लिए कोई भी व्यक्ति लोन ले सकता है|

कैसे ले सकते हैं लोन

पोल्ट्री फार्मिंग के लिए किसी भी सरकारी बैंक से लोन ले सकते हैं| भारतीय स्टेट बैंक इस काम के लिए कुल लागत का 75 परसेंट तक लोन देता है|

भारतीय स्टेट बैंक में 5,000 मुर्गियों के पोल्ट्री फार्म के लिए 3,00,000 रुपये तक का कर्ज दिया जाता है| यहां से आप 9 लाख रुपये तक का कर्ज ले सकते हैं| एसबीआई से लिए लोन को 5 साल में वापस करना होता है| अगर किसी वजह से 5 साल में लोन नहीं चुका पा रहे हैं तो 6 महीने का और समय दिया जाता है|

भारतीय स्टेट बैंक ने मुर्गी पालन के लिए लोन देने वाली योजना का नाम ‘ब्रायलर प्लस’ योजना रखा है| इस योजना के तहत मुर्गी पालन के लिए कमरा बनवाने, उपकरण खरीदने और मुर्गी खरीदने के लिए लोन दिया जाता है|

लोन लेने के लिए कागजात

– मुर्गी पालन के लिए लोन लेने के लिए पहचान प्रमाण पत्र – जैसे ड्राइविंग लाइसेंस, वोटर आईडी कार्ड, पैन कार्ड या पासपोर्ट की जरूरत होती है|

– पासपोर्ट आकार की दो फोटो|

– पते के प्रूफ में राशन कार्ड, बिजली बिल, टेलीफोन बिल, पानी बिल या फिर लीज एग्रीमेंट की जरूरत होती है|

– बैंक अकाउंट स्टेटमेंट की फोटो कॉपी|

– मुर्गी पालन की प्रोजेक्ट रिपोर्ट

इस तरह आप आसानी से बैंक लोन लेकर मुर्गी पालन का काम शुरू कर सकते हैं| मुर्गी पालन के लिए लोन की ज्यादा जानकारी आप अपने नजदीक के बैंक से हासिल कर सकते हैं|

फोटो, आधार कार्ड, वोटर आईडी, सरकारी संस्थानों से 5 दिवसीय मुर्गी पालन प्रशिक्षण प्रमाण पत्र, पैन कार्ड, आवास प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण पत्र, पासबुक, लेटेस्ट लगान रसीद, एलपीसी करारनामा, नजरी नक्शा, आवेदक के पास जरुरत के पैसे की बैंक स्टेटमंट भी जमा करना पड़ेगा| इसके साथ ही बिहार सरकार के संबंधित वेबसाइट पर जाएं और फार्म भरें|

एसबीआई मुर्गी फार्मिंग के लिए कुल लागत की 75 फीसदी तक लोन देता है| 5000 मुर्गियों के लिए 3 लाख रुपये तक का कर्ज और अधिकतम 9 लाख रुयये तक कर्ज ले सकते हैं|

सब्सिडी किसको कितनी मिलेगी

सामान्य जाति से संबंध रखने वाले किसान को उनकी योजना का 30 फीसदी है सब्सिडी मिलेगी|
अनुसूचित जाति से व्यवसाय करने वालों को 40 फीसदी अनुदान मिलेगा|
साथ ही बैंक लोन के ब्याज पर 50 फीसदी की राशि अनुदान दी जाती है|

मुर्गी पालन के लिए लोन लेने वाले आवेदक को सब्सिडी लेने के लिए रीजनल डायरेक्टर पशु-पालन के कार्यालय में कागजात जमा करना होता है| डायरेक्टर ही इस टीम के अध्यक्ष होते हैं|

विभाग के दो वरिष्ठ अधिकारी भी इस टीम में शामिल होते हैं| आवेदक के सभी कागजात की जांच के लिए तीन सदस्यीय स्क्रीनिंग कमेटी बनी है| आवेदक की फाइल की जांच करेगी| जांच के दौरान सफल आवेदक के मोबाइल पर मैसेज किया जाता है|

कमेटी पहले आओ पहले पाओ के आधार पर चयन करती है| बिहार में पोल्टी फार्म योजना के तहत चयनित आवेदक को लेयरमुर्गी फार्म को सात साल तक चलाना आवश्यक है|

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