पारस अमरोही
सूरजमुखी की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद के मुद्दे पर किसान संगठनों ने कुरुक्षेत्र के पिपली में आंदोलन किया। किसान संगठनों की तरफ से गुरनाम सिंह चढ़ूनी और किसानों पर लाठीचार्ज किया गया। प्रदर्शन करने वाले किसानों को जेल भेजा गया। किसानो ने ज़मानत नहीं करायी।
न्यूनतम समर्थन मूल्य काम मुद्दे को लेकर हिन्दी प्रदेशों के किसान एकजुट हुए। अब msp मुद्दा ख़त्म नहीं हुआ है। महाराष्ट्र के प्याज उत्पादक किसानों ने अपनी फ़सल को भी msp के दायरे में लाने की मांग उठाया है।
महाराष्ट्र में मौसम की बेरुख़ी और मंडी में वाजिब दाम न मिलने से हताश हैं। आये दिन मंडी में अपना उत्पाद सड़क पर बिखेर देने की खबरें सामने आ चुकी हैं । किसानों के प्याज के दामों में पिछले साल से भारी गिरावट देखी जा रही है। किसानों का कहना है कि प्याज का भाव 4 रुपये से लेकर 6 रुपये प्रति किलो तक मिल रहा है। प्याज की खेती के लिए प्रति किलो के हिसाब से उनकी लागत 15 से 18 रुपये तक आती है।
महाराष्ट्र प्याज उत्पादक संगठन ने प्याज पर 30 रुपये प्रति किलो की एमएसपी की मांगी है। किसान संगठनों का कहना हैं कि सरकार अगर प्याज पर एमएसपी नहीं तय करेगी तो राज्य में भी किसान हरियाणा जैसा आंदोलन करेंगे। किसानों का कहना है कि जब खेती के लिए चीजों मसलन खाद, बीज, कीटनाशक और खेती के उपकरण तक का दाम तय है तो फिर कृषि उपज का क्यों नहीं।
केरल के अलावा अन्य सूबों के किसान msp को लेकर अपनी आवाज़ लगातार बुलंद कर रहे हैं। कर्नाटक सरकार भी ऐसी मांग पर विचार कि थी। पंजाब में भी ऐसी मांग उठ चुकी है।सूरजमुखी से पहले मध्य प्रदेश में भी भिंडी, लौकी, गोभी, टमाटर सहित 12 सब्जियों को
msp के दायरे में लाने क मांग कर चुके है।
देश में सबसे पहले, वामपंथी गठबंधन वाली विजयन-सरकार ने केरल सरकार ने 1 नवंबर 2020 में 16 सब्जियों एवं फलों के लिए एमएसपी लागू किया था। केरल के अखबारों में रोज़ाना फल व तरकारी के न्यूनतम समर्थन मूल्य को भी प्रकाशित करने को जरूरी समझा जाता है।
राज्य सरकार फलों-सब्जियों के उत्पादन की लागत के आधार पर एमएसपी का निर्धारण किया था, जो किसानों की उत्पादन की लागत के आधार पर एमएसपी का निर्धारण था इसी के साथ केरल सब्जियों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करना वाला पहला राज्य है। इनमें नाशपत्ती, खीरा, टमाटर, पत्तागोभी, गाजर, टमाटर, बीन्स, लहसुन, चुकंदर जैसी फल-सब्जियां हैं। बताया गया कि इससे राज्य में फलों एव सब्जियों के उत्पादन में बढ़ोतरी भी हुई है। राजस्थान और मध्य प्रदेश के किसान लहसुन और धनिया के दाम को लेकर बेचैन रहते हैं।
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