पिछले कुछ सालों से जलवायु परिवर्तन के चलते आम के गिरते उत्पादन को लेकर मलिहाबाद क्षेत्र के आम उत्पादक चिंतित हैं। आम की नयी किस्मों के जनक पद्मश्री कलीमुल्लाह खान का कहना है कि भविष्य में मलिहाबाद में आम की उपज कम हो जाएगी, क्योंकि यहां के पेड़ अब जंगल की तरह हो गए हैं। इससे लगातार बीमारियां आम को प्रभावित कर रही हैं। यह चिंता इस बात को लेकर भी है कि बीते कई सालों में लगातार बढ़ रहे कीटनाशक के छिड़काव से आम की गुणवत्ता में बड़ी गिरावट दर्ज की गई है। इससे यहां का आम विदेश तक नहीं पहुंच पाता है। मलिहाबाद क्षेत्र में आम के बाग अब बीमारू बाग होते जा रहे हैं। असली व नक़ली कीटनाशकों से आम की बीमारी और बढ़ रही है। मलिहाबाद क्षेत्र के आम के बाग में बीमारी बढ़ रही है। मलिहाबाद की फल पट्टी अब वन पट्टी में तब्दील होती जा रही है। सरकार ने इस बात की चिंता नहीं की तो आने वाले समय में बाग वीरान हो जाएंगे। इसमें पेड़ों में फल नहीं आएंगे। बागवानों के मुताबिक आज से 10 साल पहले तक मलिहाबाद में खूब फल लगते थे, लेकिन कीटनाशकों के अंधाधुंध प्रयोग के चलते फल की गुणवत्ता भी प्रभावित हुई है।
जलवायु परिवर्तन का असर अन्य फसलों की तरह से आम की पैदावार पर भी है। पेड़ों के पत्ते और फल लगातार छोटे होना इसी असर का हिस्सा है। मौसम में हो रहे लगातार बदलाव को लेकर मैंगो-मैन कहे जाने वाले कलीमुल्लाह खान चिंतित हैं। उनका कहना है कि आमतौर पर जनवरी-फरवरी में आम के बौर आ जाते थे, लेकिन इस बार मार्च के महीने में बौर आए हैं। इससे इस बार मलिहाबाद में आम की फसल 15 दिन लेट हो चुकी है। मलिहाबाद क्षेत्र में बागों को पर्याप्त मात्रा में पानी न मिलाना भी एक चिंता का कारण है। इससे पेड़ों के पत्ते छोटे हो गए हैं और फल का विकास भी नहीं हो पा रहा है। उन्होंने कहा कि आम को पूरा जीवन समर्पित कर चुके हैं। जब तक वह जीवित हैं, तब तक आम के लिए ही जीते रहेंगे।फलपट्टी क्षेत्र में मुर्गी पालन उद्योग भी आम उत्पादन को प्रभावित कर रहा है। मुर्गियों के मल से न सिर्फ बड़ी दुर्गंध होती है, बल्कि भुनगे भी पैदा होते हैं, जो फलों को नुकसान पहुंचाते हैं। वहीं बागवानों को अधिकारियों से फल उत्पादन को लेकर सही सलाह भी नहीं मिल पा रही है। गांवों में अधिकारी जाते ही नहीं हैं। सही दवाएं भी नहीं मिल पा रही हैं। सरकार को मलिहाबाद के किसानों के लिए उचित कदम उठाने की जरूरत है। यहां के किसान पूरी तरह से आम पर ही निर्भर हैं। आम को रखने के लिए कोल्ड स्टोरेज और अच्छी मंडी की व्यवस्था भी की जानी चाहिए।