सरकारी गेहूं खरीद केन्द्रों पर पंजाब और हरियाणा में किसानों की ट्रैक्टर ट्रालियों की भीड़ है। अभी तक सरकारी खरीद से इन सूबों में खरीद केन्द्रों पर अफसर गद-गद हैं। दूसरी तरफ मध्यप्रदेश में सरकारी गेहूं खरीद सुस्त है। पूरे देश में 261 लाख टन गेहूं की खरीद हुई. कहा जा रहा है कि अगले कुछ दिनों में यह आंकड़ा 262 लाख टन को पार कर जाएगा। लेकिन सरकार द्वारा जारी अनुमान से इस बार कम गेहूं की खरीद होने की संभावना है। हालांकि मंडियों में गेहूं की दैनिक आवक अब लगभग 70,000 से 80,000 टन है। मध्य प्रदेश में सरकारी खरीद पिछले साल की तुलना में लगभग 33 फीसदी कम है। ऐसे में राज्य सरकार ने गेहूं खरीद की अवधि 31 मई तक बढ़ा दी है।
सरकारी एजेंसियां मध्य प्रदेश में कम खरीद के पीछे का कारण जानने की कोशिश कर रही हैं। राज्य 80 लाख टन का प्रारंभिक लक्ष्य हासिल नहीं कर पायेगा। राज्य 80 लाख टन का प्रारंभिक लक्ष्य हासिल नहीं कर पायेगा। हालांकि उत्तर प्रदेश में गेहूं खरीद में चार गुना से अधिक और राजस्थान में 2.5 गुना से अधिक का उछाल आया है, लेकिन केंद्रीय पूल में उनका योगदान मुश्किल से 18 लाख टन है।
खुले बाजार में गेहूं के दामों में तेजी के कारण एक तरफ और दाम बढने की उम्मीद में उपज को रोक कर रखे हैं। खरीद केन्द्रों पर सुस्त आवक की एक वजह यह भी है। सरकार को यूपी, राजस्थान और बिहार से लगभग 50 लाख टन गेहूं की खरीद की उम्मीद थी। अधिकारियों ने कहा कि यूपी में खरीद की अवधि जून तक बढ़ाए जाने की संभावना है, ताकि अधिक किसानों को एमएसपी का लाभ मिल सके। सूत्रों ने कहा कि खरीद के मौजूदा स्तर को देखते हुए सरकार के लिए इस साल भी गेहूं निर्यात पर प्रतिबंध हटाने की शायद ही कोई गुंजाइश है।
एक जानकारी के अनुसार यूपी में खरीद की अवधि जून तक बढ़ाए जाने की संभावना है, ताकि अधिक किसानों को एमएसपी का लाभ मिल सके। सूत्रों ने कहा कि खरीद के मौजूदा स्तर को देखते हुए सरकार के लिए इस साल भी गेहूं निर्यात पर प्रतिबंध हटाने की शायद ही कोई गुंजाइश है। यह भी देखना बाकी है कि क्या केंद्र गेहूं-चावल अनुपात को मई 2022 से पहले की तरह बहाल करेगा। कम उत्पादन और रिकॉर्ड के कारण 2022 में खाद्यान्न खरीद में भारी कमी के बाद सरकार ने गेहूं के बजाय अधिक चावल आवंटित करने की नीति में बदलाव किया था।