एबीजी शिपयार्ड बैंक धोखाधड़ी में मामले में जहां सियासत गरम हो गई है| केंद्र सरकार का कहना है कि बैंकों ने कम समय में घोटाले को पकड़ लिया| कांग्रेस ने मोदी की चुप्पी पर सवाल किया है|
जांच एजेंसी सीबीआई का कहना है कि एबीजी शिपयार्ड और उसके पूर्व अध्यक्ष ऋषि कमलेश अग्रवाल, संथनम मुथुस्वामी और अश्विनी अग्रवाल ने बैंकों से 22 हजार करोड़ रुपये से अधिक की धोखाधड़ी की है| इन पर एसबीआई की अगुवाई वाले 28 बैंकों के संघ से धोखाधड़ी का आरोप है| इसे देश के इतिहास का सबसे बड़ा बैंक धोखाधड़ी मामला भी बताया जा रहा है|
एबीजी शिपयार्ड और उसकी फ्लैगशिप कंपनी जहाजों के निर्माण और उनकी मरम्मत का कारोबार करती है| धोखाधड़ी की कुल राशि 22,842 करोड़ रुपये है|
एबीजी शिपयार्ड गुजरात के दाहेज और सूरत में स्थित हैं| एसबीआई की शिकायत के मुताबिक, कंपनी ने उससे 2925 करोड़ रुपये कर्ज लिया था| जबकि आईसीआईसीआई बैंक से 7089 करोड़, आईडीबीआई से 3634 करोड़ से, बैंक ऑफ बड़ौदा से 1614 करोड़, पीएनबी से 1244 करोड़ और आईओबी से 1228 करोड़ रुपये का बकाया है|
एसबीआई की शिकायत के बाद सीबीआई ने 7 फरवरी को दर्ज केस के सिलसिले में कंपनी और उसके निदेशकों के ठिकानों पर छापे मारे थे और कई दस्तावेज जब्त किए थे|
इस बीच वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को कहा कि एबीजी शिपयार्ड को कर्ज देने में शामिल बैंकों के कंसोर्टियम ने धोखाधड़ी के मामले को पकड़ने में औसत से कम वक्त लिया है| वित्त मंत्री ने कहा कि इस तरह के घोटाले पकड़ने में बैंक औसतन साढ़े चार साल का वक्त लगाते हैं|
उन्होंने कहा, “इस मामले में बैंकों को श्रेय मिलेगा. उन्होंने इस तरह की धोखाधड़ी को पकड़ने के लिए औसत से कम समय लिया है.”|
कांग्रेस ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बताना चाहिए कि यह धोखाधड़ी कैसे हुई है और वह इस पर चुप क्यों हैं|
एबीजी शिपयार्ड धोखाधड़ी नीरव मोदी और उसके चाचा मेहुल चोकसी द्वारा किए गए बैंक घोटाले से कहीं अधिक बड़ी है| इन दोनों ने कथित तौर पर फर्जी लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (एलओयू) जारी कर पीएनबी से करीब 14,000 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की थी