पंजाब मुख्य तौर पर तीन क्षेत्रों दोआबा, मालवा और माझा में बंटा है। मालवा क्षेत्र में शहरी वोट 33 और ग्रामीण वोट 67 फीसदी हैं। अभी तक भाजपा ने कभी मालवा में चुनाव नहीं लड़ा है। भारतीय जनता पार्टी ने पंजाब की तरह लोकसभा सीटों में से नौ पर उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं जबकि चार सीटों पर एलान करना शेष है। अहम बात यह है कि ये चारों सीटें मालवा बेल्ट की संगरूर, फतेहगढ़ साहिब, आनंदपुर साहिब और फिरोजपुर की हैं।
मालवा क्षेत्र कभी अकाली दल का गढ़ माना जाता था। विधानसभा चुनाव में मालवा में आम आदमी पार्टी का बेहतरीन प्रदर्शन रहा है। आप का यहां नेटवर्क भी मजबूत हो गया है। मालवा में ही कई किसान संगठन भाजपा का विरोध कर रहे हैं। पार्टी के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार भाजपा का शीर्ष नेतृत्व इन तमाम पहलुओं की समीक्षा कर रहा है और इन सभी सीटों पर सिख चेहरों पर दांव खेलने की रणनीति बना रहा है। मालवा में ही कई किसान संगठन भाजपा का विरोध कर रहे हैं। पार्टी के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार भाजपा का शीर्ष नेतृत्व इन तमाम पहलुओं की समीक्षा कर रहा है और इन सभी सीटों पर सिख चेहरों पर दांव खेलने की रणनीति बना रहा है। विपक्षी दलों के प्रत्याशियों का आंकलन कर वोट बैंक के समीकरणों को देखा जा रहा है। जातीय समीकरण और शहरी क्षेत्रों की वोटों पर भी भाजपा की नजरें हैं। टिकट न मिलने के कारण विपक्षी दलों के रुठे दावेदारों (जिन्हें टिकट नहीं मिली है) पर भी भाजपा की नजरें टिकी हुई हैं। बताया जाता है कि भाजपा, मालवा में खुद को साबित करना चाहती है। इससे पहले भाजपा, मालवा में कभी चुनाव नहीं लड़ी है। पार्टी को उम्मीद है कि पंजाब में बहुकोणीय मुकाबले का गणित उनके पक्ष में जा सकता है। पार्टी का मानना है कि यदि मतों का विभाजन हुआ तो शहरी वोट, भाजपा के लिए वरदान साबित हो सकते हैं। इसी के चलते भाजपा, सिख चेहरों के जरिये गांवों में भी वोट बैंक को जोड़ना चाहती है।