केंद्र सरकार की ओर से बासमती राइस का न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) 1200 डॉलर प्रति टन करने से किसानों की आशा व मेहनत पर पानी फिरता नजर आ रहा है। किसानों ने इस बार पंजाब में 20 फीसदी बासमती का रकबा काफी उम्मीदों से बढ़ाया था। बावजूद इसके बासमती का खरीद दाम उचित नहीं मिल रहा है।
मिली जानकारी अनुसार पंजाब का किसान 38,500 करोड़ की बासमती उगाकर निर्यात करता है। पिछले वर्षों का परिणाम व मुनाफा देखकर किसान इस बार बासमती की तरफ ज्यादा आकर्षित हो गया था। इसलिए सूबे में 20 फीसदी रकबा बढ़ गया लेकिन अब किसान चिंतित है कि फसल किसको बेचेगा।
वर्ष 2022-23 के लिए भारत में बासमती चावल का कुल उत्पादन 6 मिलियन टन है। अचानक 1200 अमेरिकी डॉलर एमईपी लगाने का निर्णय निर्यात की औसत कीमत से लगभग 150 अमेरिकी डॉलर अधिक है। 25 सितंबर को केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल के साथ ऑनलाइन मीटिंग के बाद अब तक निर्यातक इसे 850 से 900 डॉलर प्रति टन होने की उम्मीद लगाए रखे थे। लेकिन टर्की के इस्तांबुल में लगे इंटरनेशनल फूड फेयर से बासमती के लिए कोई आर्डर नहीं मिला। जबकि भारत ने पिछले साल अब तक का रिकॉर्ड बासमती चावल निर्यात किया था।
पंजाब के किसान 140 से अधिक देशों में बासमती चावल भेजकर निर्यात में लगभग 35 फीसदी का योगदान करते हैं। पंजाब की पूसा बासमती 1509 की फसल 4500 रुपये प्रति क्विंटल पर बिकनी शुरू हुई थी। लेकिन निर्यातकों को विदेशों से ऑर्डर न मिलने के कारण बासमती अब बाजार में 3300 रुपये प्रति क्विंटल पर आकर गिर गया है। किसान चिंतित हैं क्योंकि पंजाब में इस साल 20 फीसदी बासमती का अधिक उत्पादन हुआ है।
इस साल पंजाब में बाढ़ के कारण बासमती की खेती का विस्तार किया है। इस साल बाढ़ के कारण पंजाब का बासमती खेती क्षेत्र पिछले साल के 4.94 लाख हेक्टेयर से एक लाख हेक्टेयर बढ़ गया है। पंजाब में लगभग 2 लाख किसान बासमती चावल की खेती में लगे हुए हैं।
भारत में केन्द्र सरकार के बांसमती का निर्यात दर बढ़ाने से पाकिस्तान के निर्यात उद्योग को फायदा होगा। एसोसिएशन के अशोक सेठी का कहना है कि हाल ही में इस्तांबुल में अंतर्राष्ट्रीय खाद्य मेले में, भारतीय चावल निर्यातकों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ा क्योंकि हाल ही में एमईपी लगाए जाने के कारण अंतरराष्ट्रीय खरीदारों ने पाकिस्तान का रुख किया।