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गन्ना : निरोग फसल और कम लागत वाली खासियत के साथ तीन नई किस्में

गन्ना किसान की सालाना कमाई कई चीजों पर निर्भर करती है। जैसे जमीन की उत्पादकता, मार्केट डिमांड आदि। साथ ही गन्ना किसान की कमाई उसके क्षेत्र पर भी निर्भर करती है। सामान्य तौर पर गन्ने की खेती में 70 से 80 टन प्रति हेक्टेयर पैदावार होती है।

एक अरसे से किसान गन्ना की 0238 प्रजाति को लेकर सकारात्मक रहे हैं और इस किस्म से खेती करते आ रहे हैं। किसान अभी भी गन्ने की इस किस्म से खेती कर सकते हैं। लेकिन प्रजाति 14201 और 13235 के मुकाबले इस किस्म की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम है। यही वजह है कि इस किस्म में ज्यादा रोग लगते हैं। कीड़ों और कीटों का प्रकोप बढ़ने से किसान की उत्पादन लागत बढ़ जाती है।

जो किसान गन्ना सड़न रोग प्रभावित इलाकों में रहते हैं तो सीओ 0238 किस्म से गन्ने की खेती न करना ही बेहतर होगा। लेकिन यद क्षेत्र में गन्ना में किसी भी प्रकार का रोग नहीं लगता है तो एक बार इस किस्म को आजमा कर देख सकते हैं। सीओ 0238 को अभी भी काफी किसान उपयोग में ला रहे हैं |

भारतीय गन्ना अनुसंधान लखनऊ द्वारा विकसित सीओ 14201 गन्ना-प्रजाति
को विकसित करने की जरूरत तब पड़ गई जब गन्ना किसान लाल सड़न रोग से ज्यादा प्रभावित होने लगे। गन्ना किसान अपने फसल में लगे इन रोगों की वजह से लागत बढ़ने से परेशान थे। वृहद स्तर पर लाल सड़न रोग को नियंत्रित करने के लिए इस किस्म को विकसित किया गया। गन्ना के इस किस्म में सबसे अच्छी उपज क्षमता है।

एक गन्ना किस्म को विकसित होने पर लगभग 10 साल का समय लगता है। 13235 गन्ना प्रजाति एक बेहतरीन रोग रोधक और बंपर पैदावार देने वाली किस्म है। ये किस्म एमएस 6847 और को 1148 की ब्रीडिंग करा कर विकसित की गई। इस किस्म से किसानों की औसत उपज 81 से 92 टन प्रति हेक्टेयर होती है। साथ ही इसकी व्यवसायिक शर्करा उपज भी 11.55 पाई गई है जो बहुत अच्छा माना जाता है। जो किसान अपने गन्ना की फसल में रोग से परेशान हैं, वो इस किस्म से खेती करके देख सकते हैं। गन्ना की ये प्रजाति लाल सड़न रोग आदि कई रोगों के प्रति मध्यम रोग रोधी है। 13235 प्रजाति का बड़ा लाभ ये भी है कि इसकी पेड़ी क्षमता अधिक है, यानी यह गन्ना गिरता नहीं है।

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