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पहाड़ टूटने, बादल फटने और मूसलाधार बारिश से रास्ते व ज़िन्दगी बंद

इस साल मानसून में बादल ठिकाना बदल-बदल कर आफत बरसात रहें हैं। हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में बादल फटने,मूसलाधार बरसात औंर नदियों- नालों में उफान आने से चारों ओर तबाही के पहाड और बदहाली की खाइयों से रास्ते नहीं बचे हैंं। पहाड़ अब लोगों के लिए मुसीबत के पहाड़ साबित हो रहे हैं।

सेब , नाशपाती और खुशनुमा मौसम के लिए पहचाना जा चुका देश का हिमाचल प्रदेश अब बर्बादी की नमी इबारत लिख रहा है। हिमाचल प्रदेश भारी बारिश से हो रही तबाही के दूसरे और सबसे भीषण दौर से जूझ रहा है। पिछले 48 घंटों में प्रदेश के विभिन्न इलाक़ों में भारी बारिश के कारण जान-माल का भारी नुक़सान हुआ है।

ख़बर लिखे जाने तक 27 से ज़्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और विभिन्न स्थानों पर भूस्खलन या मकान ढहने से क़रीब इतने ही लोग मलबे में दबे हुए हैं। ज़मींदोज़ मंदिर में अभी और लोगों के लंबे होने की आशंका है। लगातार तेज बारिश की वजह से दबे हुए लोगों का बचाव मुश्किल हो रहा है।

शिमला के समरहिल में हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी के पास पहाड़ की ज़मीन दरक गयी जो देवदार के विशाल पेड़ों समेत नीचे शिव मंदिर पर जा गिरी। सावन महीने का सोमवार होने के कारण यहां काफ़ी श्रद्धालु आए थे जो मलबे की चपेट में आ गए। अब तक यहां से नौ शव बरामद किए जा चुके हैं। बचाव दल को आशंका है कि यहां और भी लोग दबे हो सकते हैं।

बिलासपुर में सामान्य से 496, चंबा में 156, हमीरपुर में 795, कांगड़ा में 582, किन्नौर में 83, कुल्लू में 262, मंडी में 569, शिमला में 690, सिरमौर में 136 और सोलन में 311 फीसदी अधिक बारिश रिकॉर्ड हुई। सुंदरनगर में रविवार रात को 168.4 मिलीमीटर बारिश दर्ज हुई।

वर्ष 2007 के दौरान अगस्त में 12 घंटों के दौरान यहां 193 मिलीमीटर बारिश हुई थी। शिमला में रविवार रात 125.8 मिलीमीटर बारिश हुई। इससे पहले वर्ष 2019 में शिमला में 153 मिलीमीटर बारिश हुई थी। उधर, कांगड़ा में बीते वर्ष एक दिन में 346 और धर्मशाला में 333 मिलीमीटर बारिश हुई है।

पहाड़ दरकने और मूसलाधार बारिश की वजह से शिमला -कालका रेलमार्ग जगह-जगह क्षतिग्रस्त हुआ है। इस रेलमार्ग पर आवाजाही बंद है। बारिश से हिमाचल पथ परिवहन निगम के 3700 रूट ठप, 600 बसें फंसीं हैं।

लगातार बारिश से उत्तराखंड में भी हालात खराब है। पहाड़ दरकने से सड़कों पर मलबा फ़ैला है। प्रदेश में भारी बारिश से चार नेशनल हाईवे समेत 338 सड़कें बंद हैं। इससे पहाड़ का जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है। सड़कें बंद होने से विभिन्न स्थानों पर यात्री फंसे हुए हैं। लोनिवि की ओर से करीब 300 जेसीबी मशीनों को मार्ग खोलने के काम पर लगाया गया है।

लगातार बारिश को देखते हुए बद्रीनाथ और केदारनाथ की यात्राएं रोक दी गई हैं। हरिद्वार में गंगा खतरे के निशान को छू रही है। मौसम विभाग ने अभी फिर बारिश की चेतावनी दी है। उत्तराखंड के कई इलाकों में पहुंचने के रास्ते बंद होने से आवश्यक वस्तुओं का संकट पैदा हो गया है।

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