सरकार की तरफ से पिछले इथेनॉल उत्पादन के लिए गन्ने के प्रयोग पर प्रतिबंध लगाने और फ्यूल ब्लेंडिंग (ईंधन मिश्रण) लक्ष्य को पूरा करने के लिए मक्का का प्रयोग करने की बात कही गई थी। इसके बाद से ही व्यापारी म्यांमार से मक्का आयात करने पर विचार करने लगे थे।
अखबार बिजनेस लाइन की एक रिपोर्ट के अनुसार म्यांमार से मक्का की खेप आनी शुरू हो गई है. तमिलनाडु एग पोल्ट्री फार्मर्स मार्केटिंग सोसायटी के प्रेसीडेंट वांगिली सुब्रहमण्यम के हवाले से अखबार ने लिखा है कि म्यांमार के साथ डील होने के बाद तीन जहाज पहले ही आ चुके हैं। समझौते के अनुसार दस और जहाज आने हैं। शुरुआत में आयात 268 डॉलर टन था लेकिन अब कीमतें बढ़ गई हैं। बिजनेस लाइन ने ओलम एग्रो इंडिया लिमिटेड के कंट्री हेड संजय संचेती के हवाले से लिखा है कि कीमतें अब चढ़ चुकी हैं।
ओलम उन कुछ अंतरराष्ट्रीय फर्म में हैं जो मक्का को देश में लेकर आ रही हैं। एक अधिकारी ने बताया कि म्यांमार से ड्यूटी फ्री आयात को मंजूरी मिली है क्योंकि इसे सबसे कम विकसित देश समझा जाता है। अगर इसी मक्के का आयात किसी और देश से होता तो फिर इस पर कस्टम विभाग की तरफ से 60 फीसदी ड्यूटी के अलावा पांच फीसदी आईजीएसटी और 10 फीसदी सोशल वेलफेयर सरचार्ज भी लगाया जाता।
भारत में मक्का की ज़रूरत के मद्देनजर हालांकि केंद्र की तरफ से आयात में 15 फीसदी कंसेशनल ड्यूटी लगाई गई है जिसे टैरिफ रेट कोटा (टीआरक्यू) के तौर पर जानते हैं. मक्के का आयात तभी ड्यूटी फ्री होता है जब इसे स्टार्च के तौर पर फिर से इंपोर्ट किया जाए। यह भी कहा जा रहा है कि म्यांमार के साथ डील साइन होने के बाद मक्के के आयात में तीन लाख टन का इजाफा हुआ है। अधिकारियों की मानें तो मक्के की पहली खेप स्टार्च के तौर पर आई थी। जबकि दूसरी खेप इथेनॉल उत्पादन के लिए थी।
तमिलनाडु में पोल्ट्री सेक्टर में भी मक्का की मांग है। कुछ पोल्ट्री फर्म्स ने आयातित मक्के को खरीद लिया है। ट्रेड सूत्रों की मानें तो मक्के की अच्छी खासी माग है। स्टार्च और एथेनॉम बनाने वालों के साथ ही साथ पोल्ट्री सेक्टर में भी इसकी मांग है। फिलहाल एग्रीकल्चर प्रोड्यूस मार्केटिंग कमेटिंग (एपीएमसी) में मक्के की औसत कीमत 2091 रुपये प्रति क्विंटल है जबकि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 2090 रुपये प्रति क्विंटल है।