tag manger - बिहार : दरभंगा में विकसित हुई मखाने की नई प्रजाति ‘सुपर सेलेक्शन-वन’ – KhalihanNews
Breaking News

बिहार : दरभंगा में विकसित हुई मखाने की नई प्रजाति ‘सुपर सेलेक्शन-वन’

बिहार में मखाना को जी.आई. टैग मिलने के बाद दुनिया में मखाना की मांग बढ़ी है | सूबे के कई जिलों मे़ इसके उत्पादन पर ज़ोर दिया जा रहा है| भारत में मखाना बिहार के कई जिलों का प्रमुख उत्पाद है|

वर्ष 2015 में अधिक प्रतिरोधक क्षमता युक्त मखाने की प्रजाति पर काम शुरू किया था, जिसमें उन्‍होंने मास सेलेक्शन विधि से स्वर्ण वैदेही, उत्तर बिहार के विभिन्न जिलों में लगाए जाने वाले परंपरागत और मणिपुरी मखाने के फूलों का संकरण विधि से परागण कराकर नया बीज तैयार किया। इन बीजों को एक वर्गमीटर में लगाकर प्रति पौधा उत्पादन देखा गया।

मखाना अनुसंधान केंद्र दरभंगा ने सात साल के शोध के बाद मखाने की अधिक रोग प्रतिरोधक क्षमता वाली प्रजाति ‘सुपर सेलेक्शन-वन’ विकसित की है। इस प्रजाति के मखाने अधिक तापमान में भी झुलसा रोग की चपेट में नहीं आएंगे।

मखाने के फूल जून-जुलाई में आते हैं। तब तापमान 34 डिग्री या अधिक होता है। सामान्य प्रजाति के मखाने के फूल इस तापमान पर झुलसा रोग की चपेट में आ जाते हैं, जिससे उत्पादन दो तिहाई रह जाता है। रोग प्रतिरोधक क्षमता 20 प्रतिशत अधिक होने के कारण सुपर सेलेक्शन वन प्रजाति में यह तापमान सहने की क्षमता है और उसके फूल में झुलसा रोग नहीं लगता।

इसकी गुड़ी (मखाने का फल) से बड़े लावे 70 प्रतिशत निकलते हैं, जबकि अन्य प्रजाति में 40 से 50 प्रतिशत।

इसमें किस्म में प्रोटीन नौ प्रतिशत है, जबकि स्वर्ण वैदेही में 8.3 प्रतिशत। स्वर्ण वैदेही प्रजाति का उत्पादन प्रति हेक्टेयर 30 क्विटंल है तो सुपर सेलेक्शन वन का 35 से 38 क्विंटल। एक हेक्टेयर में स्वर्ण वैदेही का 20 से 22 किलो बीज या छह हजार पौधे लगते हैं, जबकि सुपर सेलेक्शन वन के बीज 12 से 14 किलो या 4200 पौधे।

About admin

Check Also

बिहार : ‌सात जिलों में किसानों को कुफरी चिप्सोना के बीज उपलब्ध कराया गया.

आलू का उन्नत बीज मुहैया कराने को बिहार सरकार ने अच्छा कदम उठाया है। सरकार …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *