आलू किसानों को इन दिनों बहुत ही मुश्किल दौर से गुजरने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। पिछले साल नवम्बर में 24 रुपये आलू की बीज खरीदकर किसानों ने अपने खेतों में बुआई की थी। आलू तैयार हुआ तो अप्रैल माह में सात रुपये प्रतिकिलो भी कोई खरीदनेवाला नहीं मिल रहा है। किसानों को 50 हजार प्रति बीघा खर्च हुआ है।
जिन किसानों ने लीज पर खेत लेकर बुआई की है उन्हे लागत मूल्य 75 हजार प्रति बीघा पड़ा। कम दाम मिलने का कारण आलू का रिकार्ड उत्पादन है। स्थिति यह है कि कोल्डस्टोरेज में रखने के बाद भी आधे से अधिक किसानों के दरवाजे पर ही आलू है। अधिकतम व न्यूनतम तापमान में वृद्धि से दरवाजे पर रखे आलू सड़ने लगा है।
व्यापारी किसानों से मनमानी कीमत पर आलू की खरीदारी कर रहे हैं। इस बार पांच-पांच एकड़ में आलू की खेती की। करीब सात सौ क्विन्टल आलू का उत्पादन हुआ। आधा आलू ही किसी प्रकार कोल्डस्टोरेज में रख सका बाकी आलू दरवाजे पर ही पड़ा है।
इतना ही नहीं आलू को स्टोरेज करने में प्रति एकड़ 20 हजार अलग से खर्च करना पड़ा है। उन्होंने बताया कि आसपास के व्यापारी आलू खरीदने के लिए पहुंच रहे हैं, मगर सात सौ रुपये क्विन्टल आलू का रेट लगा रहे हैं। इतना ही नहीं एक माह का उधारी भी मांगते हैं। ऐसे में दूसरी फसल की खेती कैसे होगी ,किसान इससे भी परेशान है।
नौ सौ रुपये क्विंटल बिक रहा थोक बाजार में आलू
थोक व्यापारी शेर जायसवाल ने बताया कि पिछल दो माह से इलाके में अपने इलाके में उत्पादित आलू ही बिक रहे हैं। वहीं 11 रुपये प्रति किलो खुदरा बाजार में आलू की बिक्री है। सनद रहे कि इस बार जिले में 15 हजार हेक्टेयर में किसानों ने आलू की खेती की थी। जिसमें करीब 40 हजार मीट्रिक टन उत्पादन हुआ है।