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बाजरा की अच्छी उपज के लिए बरसात बाद करें खेत की देखभाल

बाजरे की खेती से अच्छा मुनाफा कमाने के लिये किसानों को अधिक सावधानी बरतने की जरूरत होती है| विशेषज्ञों के मुताबिक इस समय बाजरे की फसल में खरपतवार प्रबंधन के साथ-साथ कीड़े और बीमारियों की निगरानी करते रहना चाहिये| मानसून की बारिश पड़ते ही ये समस्यायें फसल में घर कर जाती है| समय रहते इनकी पहचान करके रोकथाम के उपाय कर लेने चाहिये|

बारिश के बाद ही फसल में खरपतवार और रोगी पौधे उगना शुरु कर देते हैं| ऐसी स्थिति में निराई-गुड़ाई करें और खरपतवार-रोगी पौधों को उखाड़कर फेंक दें| ध्यान रखें कि बुवाई के 20 दिन के अंदर ये काम जरूर कर लें|

बीमार पौधे और खरपतवारों को निकालने के बाद फसल पर 0.2% जिनेब दवा की 500 ग्राम मात्रा या मेन्कोजेब को 250 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें|

इसके अलावा, 400 मी.ली क्यूमान एल. को 200 लीटर पानी में घोलकर पौधों में बाल निकलने पर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करना बेहतर रहता है|

मानसून में सफेद लट का खतरा बाजरे की फसल पर मंडराता रहता है| बारिश के मौसम ये कीड़े अंधेरे में जमीन से निकलते हैं और बाजरे के पत्तों का खाकर नष्ट कर देते हैं| सुबह होने पर ये कीड़े वापस जमीन में घुंस जाते हैं| इसके कारण फसल के पौधे पीले पड़कर गलने लगते हैं|

ये कीड़े हल्के भरे रंग और सी आकार वाले होते हैं, जो अगस्त से अक्टूबर तक फसल पर खतरा बनकर मंडराते रहते हैं|

इनकी रोकथाम के लिये बारिश के बाद रात के समय सफेद लट के झुंट को पेड़ से हिलाकर नीचे गिरायें और इन्हें मिट्टी के तेल में डुबोकर नष्ट कर दें|

किसान चाहें तो 0.05 % क्विनाल्फोस 25 ई.सी. या फिर 0.05% कार्बरिल 50 WP का घोल बनाकर इन कीड़ों पर छिड़काव कर सकते हैं|

जुलाई से लेकर अक्टूबर तक बाजरे की फसल में लाल बालों वाली सुंडियों का प्रकोप बढ जाता है| ये कीड़े बाजरे की पत्तियों के नीचे रहकर उन्हें छली कर देते हैं| इससे फसल की क्वालिटी पर बुरा असर पड़ता है|

इसकी रोकथाम के लिये बुवाई से पहले ही खेतों में गहरी जुताई का काम करना चाहिये, जिससे सुंडियों के प्यूपों को नष्ट किया जा सके|

इसके समाधान के लिये बारिश पड़ने के बाद खेतों में लाइट ट्रेप लगायें, क्योंकि ये कीड़े रोशनी की तरफ आकर्षित होते हैं|

खेतों में समय रहते निराई-गुड़ाई का काम करके खरपतवार नष्ट करते रहें| ये कीड़े गंदगी और खरपतवारों होने पर ज्यादा पनपते हैं|

किसान चाहें तो लाल सुंडी से ग्रस्त पत्तों को तोड़कर मिट्टी के तेल में डुबोयें, इससे कीड़े अपने आप मर जाते हैं|

समस्या बढ़ने पर फसल में बड़ी सूंडियों की रोकथाम के लिए मोनोक्रोटोफोस 36 एस.एल की 250 लीटर मात्रा को एक लीटर पानी में मिलाकर फसल पर छिड़काव करें|

बारिश के बाद ही फसल में खरपतवार और रोगी पौधे उगना शुरु कर देते हैं| ऐसी स्थिति में निराई-गुड़ाई करें और खरपतवार-रोगी पौधों को उखाड़कर फेंक दें| ध्यान रखें कि बुवाई के 20 दिन के अंदर ये काम जरूर कर लें|

बीमार पौधे और खरपतवारों को निकालने के बाद फसल पर 0.2% जिनेब दवा की 500 ग्राम मात्रा या मेन्कोजेब को 250 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें|

इसके अलावा, 400 मी.ली क्यूमान एल. को 200 लीटर पानी में घोलकर पौधों में बाल निकलने पर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करना बेहतर रहता है|

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