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छत्तीसगढ़ : बीमा कंपनियों की कागज़ी अड़चनों से कम हुए किसान

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से किसानों को प्राकृतिक आपदा, ओलावृष्टि स्थिति सहित कारणों से फसल में होने वाले नुकसान की भरपाई की जाती है, लेकिन बीमा कंपनी के कड़े कायदे कानून के कारण किसानों को क्षतिपूर्ति का लाभ नहीं मिल पाता, जिससे साल दर साल बीमा कराने वाले किसानों की संख्या भी घटती जा रही है।

खरीफ वर्ष 2020-21 में जहां 57 हजार 179 किसानोंं से क्षतिपूर्ति के लिए बीमा कराया था, वहीं वर्ष 2021-22 में इनकी संख्या घटकर 41 हजार 465 हो गई। पिछले दो सालों में 98 हजार 649 किसानों ने बीमा कराया, लेकिन बीमा का लाभ केवल 31 हजार 792 किसानों को ही मिला है।

इन दो सालों में बीमा नहीं कराने वाले किसानों का अंतर ही 15 हजार 717 है। लगभग 90 प्रतिशत क्षेत्र सिंचित है, जिसके कारण साल दर साल किसानों की संख्या भी बढ़ती जा रही है। केंद्र व राज्य सरकार द्वारा किसानों को अल्प बारिश, स्थानीय आपदाएं, बाढ़, कीट व्याधि, ओलावृष्टि, फसल कटाई के बाद होने वाली क्षति तथा फसलवार पैदावार के आधार पर व्यापक क्षति पर भुगतान का प्रावधान है।

खरीफ फसलों के लिए 2 प्रतिशत कृषक प्रीमियम राशि तय है, जिसके अनुसार किसान द्वारा देय राशि 1100 सिंचित व 840 रुपए धान असिंचित के लिए प्रति हेक्टेयर को दर से प्रीमियम किसानों को देना होता है। साेयाबीन फसल के लिए 924, अरहर फसल 600 , मूंगफल्ली 480 रूपए हेक्टेयर की दर तय है।

ओलावृष्टि, सूखा, बाढ़, कीट व्याधि से नुकसान पर तथा फसल कटाई के बाद खेत में काटकर रखे फसल 14 दिनों की अधिकतम अवधि में ओलावृष्टि या बारिश से होने वाले नुकसान पर भी बीमा का लाभ किसानों को मिलेगा।

साथ ही अब ग्राम स्तर पर नुकसान का आंकलन कर बीमा का लाभ किसानों को दिया जा रहा है। फसल बीमा किसान को फसल नुकसान की सूचना घटना के 72 घण्टे के अंदर संबंधित शाखा प्रबंधक बैंक या लोक सेवा केन्द्र के माध्यम से बीमा कम्पनी को सूचना दी जा सकती है, जिसमें बीमित फसल का वितरण, नुकसान का अनुमान पटवारी या सेवा सहकारी समिति के रिपोर्ट के आधार पर किया जाएगा।

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