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उत्तर प्रदेश : पानी के नमूनों के लिए गांव की छह लाख महिलाओं को रोजगार

ग्रामीण क्षेत्र की 6 लाख महिलाएं पानी की जांच करेंगी। अब तक 1 लाख महिलाओं को प्रशिक्षित पूरा हो चुका है। जो पानी की जांच के अभियान में जुट गई हैं। अब तक 70 हजार पानी के नमूनों की जांच कराई जा चुकी है। राज्य सरकार ने लोगों की अच्छी सेहत संग महिलाओं को स्वालंबी बनाने की दिशा में अहम कदम उठाया है। नमामि गंगे और ग्रामीण जलापूर्ति विभाग ने पीने के पानी की शुद्धता की जांच के लिए अब तक का सबसे बड़ा अभियान शुरू किया है।

जल जीवन मिशन की इस योजना ने ग्रामीणों को बेहतर स्वास्थ्य देने के साथ गांव में रहने वाली महिलाओं के लिए रोजगार के नए द्वार भी खोले हैं। महिलाओं को पानी के प्रत्येक नमूने के एवज में 20 रुपये दिये जा रहे हैं। जल शक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह और नमामि गंगे व ग्रामीण जलापूर्ति विभाग के प्रमुख सचिव अनुराग श्रीवास्तव लगातार योजना की निगरानी कर रहे हैं। आमजन को शुद्ध पीने का पानी मुहैया कराने की दिशा लगातार कोशिश की जा रही है।

डॉक्टरों की मानें तो पानी में फ्लोराइड की मात्रा अधिक पाए जाने से फ्लोरोसिस जैसी दांतों की बीमारी हो जाती है। आर्सेनिक की अधिकता से त्वचा पर दाग-धब्बे संबंधी बीमारी पनप आती है। दूषित पानी से गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। शुद्ध पानी से दांतों की उम्र बढ़ेगी। त्वचा रोगों से भी छुटकारा मिलेगा। इसके अलावा उल्टी-दस्त, हैजा, टाइफाइड, मलेरिया, डेंगू, दांत, हड्डी, किडनी, लीवर व पाचन तंत्र से जुड़ी बीमारी का खतरा बढ़ जाता है।

विभाग के अधिकारियों ने बताया कि फील्ड जांच किट से पानी की गुणवत्ता की जांच होगी। पानी की 12 तरह की जांच संभव होगी। नल, कुआं, हैंडपम्प, ट्यूबवेल के पानी की गुणवत्ता परखी जा सकेगी। पीने के पानी में फ्लोराइड, आर्सेनिक जैसे घातक तत्वों की अधिकता पाए जाने पर जल निगम उस जल स्रोत को बंद करने या फिर समस्या के समाधान के प्रयास करेगा।

गांव की महिलाओं का चयन होगा। प्रत्येक राजस्व ग्राम में 5 महिलाओं का चयन विकास खंड स्तरीय कमेटी करेगी। इसके सदस्य विकास खंड अधिकारी, संबंधित जनपद के अधिशासी अभियंता, सहायक अभियंता, अवर अभियंता होते हैं। इनकी सहमति से महिलाओं का चयन किया जा रहा है।

शाहजहांपुर, बिजनौर, फिरोजाबाद, पीलीभीत, बदायूं, बरेली, मुरादाबाद, बुलंदशहर, अंबेडकरनगर, संभल के राजस्व गांवों में सर्वाधिक महिलाओं का प्रशिक्षण कार्यक्रम पूरा कर लिया गया है। ये महिलाएं पानी का नमूना एकत्र कर रही हैं। नमूनों जांच के लिए जल संस्थान भेजे जा रहे हैं।

डॉक्टरों की मानें तो पानी में फ्लोराइड की मात्रा अधिक पाए जाने से फ्लोरोसिस जैसी दांतों की बीमारी हो जाती है। आर्सेनिक की अधिकता से त्वचा पर दाग-धब्बे संबंधी बीमारी पनप आती है। दूषित पानी से गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। शुद्ध पानी से दांतों की उम्र बढ़ेगी। त्वचा रोगों से भी छुटकारा मिलेगा। इसके अलावा उल्टी-दस्त, हैजा, टाइफाइड, मलेरिया, डेंगू, दांत, हड्डी, किडनी, लीवर व पाचन तंत्र से जुड़ी बीमारी का खतरा बढ़ जाता है।

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