इस साल कम बारिश के संकट से कर्नाटक के किसान परेशान हैं। राज्य सरकार ने 195 तालुकों के सूखा प्रभावित होने के बाद 14 अक्टूबर को और 22 तालुकों सूखा प्रभावित घोषित किया। इसके साथ ही राज्य के कुल 236 तालुकों में से कुल 216 तालुकों को सूखा प्रभावित घोषित कर दिया गया है।
पिछले महीने के आंकड़ों में यहां 195 तालुकों को सूखा प्रभावित घोषित किया गया था। वहीं पिछले एक सप्ताह में किए गए फसल सर्वेक्षण की रिपोर्ट के आधार पर एक आधिकारिक अधिसूचना जारी कर 22 और तालुकों को सूखा प्रभावित घोषित किया। नए आंकड़ों के मुताबिक, 22 सूखाग्रस्त तालुका में 11 तालुकों की पहचान “गंभीर सूखे” का सामना करने वाले के रूप में की गई है। इसके साथ ही राज्य के कुल 236 तालुकों में से कुल 216 तालुकों को सूखा प्रभावित घोषित किया गया है, जिसमें 189 गंभीर सूखा प्रभावित और 27 मध्यम सूखा प्रभावित तालुका शामिल हैं।
कर्नाटक के राजस्व मंत्री कृष्णा बायरे गौड़ा ने राज्य के लिए अतिरिक्त राहत कोष की मांग करते हुए अगले सोमवार को केंद्र सरकार को एक और ज्ञापन सौंपा जाएगा। पहले चरण में राज्य के 236 तालुकाओं में से 195 तालुकाओं को सूखा प्रभावित घोषित किया गया था। उन्होंने कहा कि राज्य में इस साल भयंकर सूखा पड़ा है, जो इतिहास में अभूतपूर्व है। राज्य के लगभग सभी जिले कम बारिश से प्रभावित हैं। कम बारिश की वजह से ही बाकी तालुकों को भी सूखा प्रभावित घोषित करने की मांग की गई थी।
श्री गौड़ा ने कहा कि 16 अक्टूबर को केंद्र-सरकार को एक ज्ञापन सौंपा जाएगा। राज्य के पास केंद्र सरकार के दिशानिर्देशों के अनुसार 300 से 350 करोड़ रुपये की अतिरिक्त सूखा राहत मांगने का मौका है। वरिष्ठ अधिकारियों के साथ की गई बैठक के दौरान गौड़ा ने नाराजगी व्यक्त की कि केंद्र सरकार के पास राज्य में छोटे और सूक्ष्म किसानों की संख्या पर सटीक डेटा नहीं है, जिसके परिणामस्वरूप सूखा राहत के वितरण के संबंध में राज्य के साथ गलत व्यवहार किया जा रहा है।
मिली जानकारी अनुसार सूखा राहत के संबंध में केंद्र के दिशानिर्देशों के अनुसार पांच एकड़ से अधिक कृषि भूमि वाले किसानों को मुआवजा नहीं दिया जा सकता है। श्री गौड़ा ने कहा कि बारिश की कमी के कारण राज्य में 41.11 लाख हेक्टेयर भूमि प्रभावित हुई है। वहीं राज्य में फसलों का भी काफी नुकसान हुआ है।