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इसराइल हमास के बीच जंग, भारतीय खेती पर पड़ेगा असर

विश्व स्तर पर इस समय दो युद्ध चल रहे हैं एक और रूस यूक्रेन के मध्य लंबे समय से संघर्ष जारी है वहीं दूसरी ओर अब इसराइल एवं हमास के बीच युद्ध शुरू हो गया है। 24 फरवरी 2022 को, रूस ने यूक्रेन पर आक्रमण किया था, जो अभी तक चल रहा है।

यह आक्रमण द्वितीय विश्व युद्ध के बाद किसी यूरोपीय देश पर सबसे बड़ा हमला है। इसके पहले 2014 में मैं भी रूस यूक्रेन के मध्य युद्ध हो चुका है। ऐसे ही स्थिति इसराइल एवं हमास के बीच है। दोनों के बीच लंबे समय से तनाव जारी है, जो अब हमेशा युद्ध के रूप में बदल गया है 7 अक्टूबर को समझ में इसराइल पर कई मिसाइल दागकर हमला कर दिया। इन दोनों युद्ध का मानवीय प्रभाव व्यापक रहा है और इसमें अंतर्राष्ट्रीय खाद्य आपूर्ति और 2022 के खाद्य संकट पर नकारात्मक प्रभाव शामिल हैं।

कोविड -19 लॉकडाउन के कारण कृषि उपज में काफी कमी आई। ईंधन और परिवहन की कीमतों ने खाद्य वितरण की जटिलता को बढ़ा दिया। पहले, यूक्रेन मक्का और गेहूं का चौथा सबसे बड़ा निर्यातक था, लेकिन रूसी आक्रमण के कारण आपूर्ति बाधित हो गई, जिसके परिणामस्वरूप मुद्रास्फीति और आश्रित देशों में इन वस्तुओं की कमी हो गई। जलवायु संकट के कारण वैश्विक खाद्य भंडार में कमी के कारण यह और बढ़ गया था।

रूस दुनिया का सबसे बड़ा गेहूं निर्यातक देश है। वैश्विक बाजार में रूस के अनाज निर्यात का महत्व , विशेष रूप से तिलहन और गेहूं से संबंधित, इसका मतलब है कि 2022 में यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के दौरान यूक्रेन से व्यापार में प्रतिबंधों और व्यवधानों के कारण वैश्विक अनाज की कीमतों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई। एक रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2023 में वैश्विक स्तर पर खाद्य संकट रहा। विशेषज्ञों का मत है कि यह खाद्य संकट ओर गहराएगा।

इजराइल देश के कुल 20% भूमि में ही सिंचाई हो पाती है। इसके बावजूद यह देश विश्व के 10 बड़े फसल उत्पादन देशों की सूची में शामिल है। इजराइल में गेहूँ, जौ, जैतून, तम्बाकू अंगूर एवं अंजीर की खेती होती है। तकनीक के मामले में इजराइल देश चीन और अमेरिका को पीछे छोड़ काफी विकसित और सही कृषि यंत्र का इस्तेमाल करता है। देश के 5 विश्वविद्यालयों में सिर्फ कृषि पर शोध किया जाता है।

विदेशो से भी अधिक मात्रा में छात्र इजराइल के कृषि रिसर्च संस्थाओं में प्रशिक्षण लेने आते है। विशेषज्ञ बताते हैं कि इसराइल एवं हमास के बीच जंग करने के कारण इजरायल कृषि पर विपरीत असर पड़ेगा। भारत से इजराइल में प्रमुख से कृषि वस्तुओं में समुद्री उत्पाद, बासमती चावल, भैंस का मांस, मसाले, गैर-बासमती चावल, कच्चा कपास, तेल भोजन, चीनी, अरंडी का तेल और चाय निर्यात होता है।

इसराइल एवं हमास के बीच जंग का प्रभाव भारतीय कृषि पर सीधे तौर पर तो नहीं पड़ेगा। किंतु वैश्विक स्तर पर खाद्य संकट पैदा होने के कारण भारतीय बाजार पर भी इसका असर पड़ेगा। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार भारत में कृषि उत्पादन में बढ़ोत्तरी होती है तो इसका फायदा भारतीय कृषि को मिलेगा। वैश्विक स्तर पर खाद्य निर्यात शुरू होने पर देश में खाद्य सामग्रियां के भाव में बढ़ोतरी होगी। कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि खासतौर पर गेहूं के दाम बढ़ने के आसार हैं।

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