केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 18 सितंबर को ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। न्यूज18 ने सूत्रों के हवाले से बताया कि, संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ विधेयक पेश किए जाने की संभावना है। यह घटनाक्रम पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली उच्च स्तरीय समिति की रिपोर्ट के बाद सामने आया है, जिसे केंद्रीय मंत्रिमंडल के समक्ष रखा गया था। इस साल लोकसभा चुनाव से पहले, उच्च स्तरीय समिति ने एक साथ चुनाव कराने की व्यवहार्यता पर रिपोर्ट पेश की थी। कैबिनेट के समक्ष रिपोर्ट पेश करना कानून मंत्रालय के 100 दिवसीय एजेंडे का हिस्सा था।
पूर्व राष्ट्रपति कोविंद की अगुआई वाली रिपोर्ट में पहले कदम के तौर पर लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव कराने की सिफारिश की गई थी, जिसके बाद 100 दिनों के भीतर स्थानीय निकाय चुनाव कराए जाने की सिफारिश की गई थी।समिति ने समिति द्वारा की गई सिफारिशों के क्रियान्वयन पर विचार करने के लिए एक ‘कार्यान्वयन समूह’ के गठन का भी प्रस्ताव रखा था। पैनल ने कहा था कि, एक साथ चुनाव कराने से संसाधनों की बचत होगी, विकास और सामाजिक सामंजस्य को बढ़ावा मिलेगा, लोकतांत्रिक ढांचे की नींव मजबूत होगी।
कोविंद की अगुआई वाली रिपोर्ट में पहले कदम के तौर पर लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव कराने की सिफारिश की गई थी, जिसके बाद 100 दिनों के भीतर स्थानीय निकाय चुनाव कराए जाने की सिफारिश की गई थी।समिति ने समिति द्वारा की गई सिफारिशों के क्रियान्वयन पर विचार करने के लिए एक ‘कार्यान्वयन समूह’ के गठन का भी प्रस्ताव रखा था।
हालांकि, इसके लिए कुछ संविधान संशोधन विधेयकों की आवश्यकता होगी जिन्हें संसद द्वारा पारित करने की आवश्यकता होगी। एकल मतदाता सूची और एकल मतदाता पहचान पत्र के संबंध में कुछ प्रस्तावित परिवर्तनों को कम से कम आधे राज्यों द्वारा अनुसमर्थन की आवश्यकता होगी। इसके अलावा, विधि आयोग भी जल्द ही एक साथ चुनाव कराने पर अपनी रिपोर्ट लेकर आने वाला है, जिसके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्रबल समर्थक रहे हैं।