राजस्थान में कांग्रेस की अगुवाई वाली अशोक गहलोत-सरकार ने गरीबों को राहत देने वाली एक और गारंटी योजना लागू की है। किसी भी सूबे में अपनी तरह की यह पहली योजना है। इसे सामाजिक सुरक्षा के लिए एक मील का पत्थर योजना के रूप में प्रचारित कर रही है। बताया जा रहा है कि इस योजना से गरीबों और आदिवासियों को राहत मिलेगी।
राजस्थान विधानसभा में बीती 21 जुलाई को एक ऐतिहासिक बिल पास हुआ। इस बिल का नाम है राजस्थान न्यूनतम आय गारंटी योजना। इसके तहत प्रदेश में ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में साल में 125 दिन रोजगार दिया जाएगा। साथ ही सामाजिक सुरक्षा के लिए दी जाने वाली पेंशन भी कम से कम एक हजार रुपये होगी। इससे बुजुर्ग, दिव्यांग, विधवा और एकल महिलाओं को अब कम से कम एक हजार रुपये पेंशन दी जाएगी। सबसे बड़ी बात यह है कि पेंशन हर साल 15 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी। इसका आधार कम से कम एक हजार रुपये होगा।
गहलोत सरकार इसे सामाजिक सुरक्षा के रूप मे साल में 125 दिन काम, कम से कम एक हजार रुपए पेंशन देगी। विधानसभा में संसदीय कार्य मंत्री और नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल ने कहा है कि इस बिल के पास होने से अब प्रदेश के सभी ग्रामीण एवं शहरी परिवारों को साल में 125 दिन रोजगार मिलेगा।
पहले मनरेगा और इंदिरा गांधी शहरी रोजगार योजना में साल में 100 दिन काम मिलता था। साथ ही सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजनाओं के तहत वृद्धजन, विशेष योग्यजन, विधवा एवं एकल महिला को प्रतिमाह न्यूनतम एक हजार रुपये पेंशन की गारंटी के लिए महात्मा गांधी न्यूनतम आय गारंटी योजना शुरू की जाएगी. इसके लिए राजस्थान न्यूनतम आय गारंटी विधेयक-2023 लाया गया है।
कानून बनाकर इस तरह की सामाजिक सुरक्षा की गारंटी देने वाला राजस्थान देश का पहला राज्य है। पेंशन में हर साल 15 प्रतिशत स्वत: वृद्धि का प्रावधान किया गया है। यह बढ़ोतरी जुलाई में पांच प्रतिशत और जनवरी में 10 प्रतिशत की जाएगी। धारीवाल ने कहा कि कानून बन जाने के बाद ये सभी प्रावधान जनता को अधिकार के रूप में मिलेंगे। साथ ही आम लोगों को बढ़ती महंगाई से राहत भी मिलेगी।
प्रदेश में आदिवासी बहुल प्रतापगढ़ जिला सबसे गरीब जिला है। प्रतापगढ़ जैसे गरीब जिले में अगर एक हजार रुपये किसी आदिवासी के बैंक खाते में जमा होता है तो यह उससे जीवन यापन का मुख्य आधार बनता है।
प्रदेश में करीब एक करोड़ लोग सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना से जुड़े हैं। इनमें से करीब 70 फीसदी बुजुर्ग 58-75 साल की उम्र के हैं। इनकी पेंशन इस बिल के कारण एक हजार रुपये हो जाएगी। बुढ़ापे में एक हजार रुपए महीने की आर्थिक सहायता बहुत बड़ी बात है। वहीं, राजस्थान जैसे सामंती मिजाज वाले प्रदेश में विधवा, एकल महिलाओं के लिए यह बड़ी राशि होती है।
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