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बजट में प्राकृतिक खेती : एक करोड़ किसानों की मदद करेगी सरकार

वित्‍त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ऐलान किया है क‍ि प्राकृतिक खेती करने के लिए अगले तीन साल तक 1 करोड़ किसानों की मदद की जाएगी| इसके लिए 10,000 बायो इनपुट रिसोर्स सेंटर खोले जाएंगे| पारंपरिक तरीके से खेती करने वाले किसानों को ये जानना जरूरी है कि प्राकृतिक खेती क्‍या होती है? इससे उन्‍हें क्‍या फायदा मिलेगा और सरकार इस पर इतना जोर क्‍यों दे रही है|

ऐसी खेती जिसमें किसी भी तरह के कैमिकल यानी रसायन का इस्‍तेमाल ना किया, प्राकृतिक खेती कही जाती है| प्राकृतिक खेती के लिए जैविक खाद व जैविक कीटनाशकों समेत अन्‍य प्राकृतिक चीजों का ही इस्‍तेमाल किया जाता है|

प्राकृतिक खेती में जमीन के प्राकृतिक स्‍वरूप को बनाए रखा जाता है| इसमें प्रकृति में बहुत आसानी से मिलने वाले जीवाणुओं और तत्‍वों का इस्‍तेमाल कर खेती की जाती है| इससे पर्यावरण को भी नुकसान नहीं होता है| साथ ही प्राकृतिक खेती में किसानों की लागत भी कम आती है| इसमें प्राकृतिक खाद, पेड़-पौधों के पत्‍ते से बनी खाद, गोबर खाद और जैविक कीटनाशक ही इस्‍तेमाल किए जाते हैं|

दुनियाभर में प्राकृतिक खेती को धरती को बचाने वाली कृषि पद्धति माना जा रहा है| भारत में इस कृषि पद्धति को अपनाने वाले राज्‍यों में आंध्र प्रदेश, छत्‍तीसगढ़, केरल, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, ओडिशा, मध्‍य प्रदेश, तमिलनाडु और अब उत्‍तर प्रदेश भी शामिल हैं| इसे भारतीय प्राकृतिक कृषि पद्धति के तौर पर केंद्र प्रायोजित योजना परंपरागत कृषि विकास योजना के तहत बढ़ावा दिया जा रहा है|

प्राकृतिक खेती को मिट्टी की उर्वरक क्षमता बढ़ाने के साथ ही पर्यावरण की बेहतरी, ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को खत्‍म करने या कम करते हुए किसानों की आय को बढ़ाने जैसे फायदे लेने के लिए शुरू किया गया है|

 

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