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दुनिया के 155 देशों की रसोई में बिखरी भारतीय बांसमती की महक

बासमती पूरी दुनिया में केवल में है । भारत 95 जिलों में उत्पादन होता है। हालांकि पाकिस्तान के तेरह जिलों में भी इस चावल की खेती की जाती है। भारत में बांसमती का भरपूर उत्पादन होता है और इसे विदेशों में भेजा जाता है। जैविक खेती की वजह से भारतीय बांसमती की मांग अधिक है।

भारत में पंजाब और हरियाणा में अब सुबे की सरकारें पानी बचाने की मुहिम में बांसमती धान की बजाय मूंग व मक्का जैसे मोटे अनाज को सोने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश के 30 जिले में बांसमती उगाने वाले इलाकों में गिने जाते हैं । देश में पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, हिमाचल, दिल्ली और जम्मू में भी बासमती धान की खेती होती है।

जैविक खेती के कारण भारतीय बांसमती को विदेशी बाजारों में खूब पसंद किया जाता है। प्राप्त जानकारी के अनुसार सहारनपुर से लेकर शाहजहांपुर के बीच का क्षेत्र बासमती हब के रूप में विकसित हुआ है। पीलीभीत, बरेली, बदायूं, मेरठ, मुजफ्फरनगर, शामली, बागपत, हापुड़, गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर, बुलंदशहर, अलीगढ़, हाथरस, आगरा, एटा, कासगंज, इटावा, मैनपुरी, कन्नौज, फिरोजाबाद, बिजनौर, मुरादाबाद आदि जिलों की किसानों के बाल पर बासमती को निर्यात से विदेशी मुद्रा प्राप्त की जा रही है।

एपीडा (एग्रीकल्चरल एंड प्रोसेस्ड फूड प्रोडक्ट एक्सपोर्ट डेवलपमेंट अथॉरिटी) का बासमती एक्सपोर्ट डेवलपमेंट फाउंडेशन गत वर्ष भारत ने 46.3 लाख टन बासमती का निर्यात कर 30 हजार करोड़ की विदेशी मुद्रा प्राप्त की है। दो साल पहले जब कोविड संक्रमण काल में विश्व परेशान था, देश के किसानों ने रिकार्ड चावल उत्पादन कर पूरी दुनिया को भोजन उपलब्ध कराया है।

गुणवत्ता के मामले में भारतीय बांसमती बेजोड़ है। गुणवत्ता के मामले में भारतीय बासमती का कोई सानी नहीं है। भारतीय बांसमती पड़ोसी देश पाकिस्तान के बांसमती के मुकाबले कहीं ज्यादा बेहतर है। इसकी वजह भारत में बांसमती की किस्मों में लगातार सुधार करना है।

भारतीय किसानों के उगायें जाने वाले बांसमती चावल को सऊदी अरब, कुवैत, संयुक्त अरब अमीरात, ब्रिटेन, अमेरिका, यमन, कनाडा, ईरान, जर्मनी, ओमान, दक्षिण अफ्रीका, फ्रांस, सीरिया, बेल्जियम, आस्ट्रेलिया और जर्मनी भारतीय बासमती चावल मंगाने वाले प्रमुख देश हैं। पहले भारतीय किसान बांसमती पर कीटनाशकों का छिड़काव करते थे। अब जैविक खाद और प्राकृतिक कीटनाशकों के इस्तेमाल से आयातकों द्वारा भारतीय उत्पाद पर रोक लगाने की बाधा नहीं है।

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