शरदकालीन गन्ने के साथ आलू की सहफसली (अंतः फसल) खेती किसान बन्धुओं के लिए आय वृद्धि का एक अच्छा विकल्प साबित हुई है| कम अवधि की अधिक आय देने वाली फसलों को गन्ने के साथ सहफसली के रूप में आलू उगाकर मिटटी की उत्पादन क्षमता बढ़ाने, उत्पादन लागत कम करने तथा उत्पादन तकनीक को टिकाऊ बनाये रखने में सहायता मिलती है| इस प्रकार फसल विविधीकरण में उपलब्ध स्रोतों का समुचित उपयोग कर सीमांत और लघु किसानों के आर्थिक तथा सामाजिक स्तर को उठाया जा सकता है|
शरदकालीन गन्ने के साथ आलू की सहफसली खेती करने से मात्र 100 से 120 दिनों में 60 से 70 कुन्तल आलू की पैदावार प्रति एकड़ प्राप्त हो सकती है| यदि किसान कुछ बातों को ध्यान में रखकर गन्ना और आलू की पैदावार बढ़ा सकते है|
1. शरदकालीन गन्ने की दिसम्बर से फरवरी तक कम तापक्रम के कारण शरदकालीन गन्ने की बढ़वार नहीं होती, इसी बीच सहफसल तैयार हो जाती है|
2. गन्ने की दो पंक्तियों के बीच खाली स्थान का भरपूर उपयोग होता है|
3. गन्ने के साथ सहफसली खेती करने से उत्पादन व्यय कम आता है|
4. गांव के श्रमिकों को सहफसली खेती में निराई गुड़ाई बुवाई आदि कार्यों में रोजगार मिलता है|
5. शरदकालीन सहफसली खेती से किसान को असमय में लाभ मिलता है|
ट्रेन्च विधि में गन्ने की दो पंक्ति के बीच आलू की दो पंक्ति लगाएं|
6. सामान्य विधि में आलू की एक पंक्ति लगाएं|
बीज की मात्रा
1. आलू का साइज मध्यम आकार का होना अच्छा रहता है|
2. सात से 8 क्विंटल आलू प्रति एकड़ उपयुक्त है|
3. इसके लिए औसतन 25 से 30 ग्राम वजन का आलू बोना चाहिए, लेकिन कटे हुए टुकड़े का वजन 20 से 25 ग्राम से कम नहीं होना चाहिए|
शरदकालीन गन्ने के साथ आलू की सहफसली खेती करने पर गन्ने की औसत पैदावार निश्चित बढ़ जाती है, जो 350 से 450 क्विंटल एकड़ गन्ने की पैदावार, आलू की 60 से 70 क्विंटल प्रति एकड़ तक हो सकती है|