केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर की अध्यक्षता में कृषि भवन में फसलों के संबंध में समीक्षा बैठक का आयोजन किया गया। इस दौरान बताया गया कि इस वर्ष गेहूं में करीब 60% क्षेत्र को जलवायु अनुकूलित किस्मों की बुवाई करने का लक्ष्य रखा गया है। ऐसी किस्मों से उत्पादन में स्थिरता लाने में सहजता होगी। कृषि मंत्री श्री तोमर ने इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए एक निगरानी समिति का गठन करने का सुझाव दिया।
खरीफ फसलों के प्रदर्शन एवं अनुमानित उपज के संदर्भ में यह बताया गया कि मानसून की देरी से आमद और अगस्त माह में कम बरसात से फसलों की बढ़वार प्रभावित हुई, किंतु सितंबर में मानसूनी वर्षा ज्यादातर प्रदेशों में सामान्य रहने से खरीफ का उत्पादन अधिक प्रभावित नहीं होने की संभावना है।
रबी की बुवाई के संदर्भ में बैठक में विभागीय अधिकारियों ने बताया कि मिट्टी में नमी की औसत मात्रा अच्छी है और बुवाई का कार्य सुचारू रूप से चल रहा है। रबी में औसत 648.33 लाख हेक्टेयर की खेती होती है। वर्तमान समय तक करीब 248.59 लाख हेक्टेयर की बुवाई हो चुकी है। विशेष तौर पर गेहूं में इस वर्ष करीब 60% क्षेत्र को किस्मों से बुवाई करने का लक्ष्य है। ऐसी किस्मों से उत्पादन में स्थिरता लाने में सहजता होगी। कृषि मंत्री श्री तोमर द्वारा इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए निगरानी समिति गठित करने के सुझाव पर विभाग द्वारा जल्द ही कार्यवाही की जाएगी।
गेहूं की फसल पर मार्च में चलने वाली तेज गर्मी और झुलसा देने वाली लू (हीटवेव)का असर नहीं होगा। ऐसी किस्मों से उत्पादन में स्थिरता लाने में सहजता होगी। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए एक निगरानी समिति का गठन करने का सुझाव दिया है. दरअसल, यह कदम इसलिए उठाया जा रहा है ताकि ज्यादा लू की चपेट में आने से गेहूं का उत्पादन कम न हो।
पूसा के वैज्ञानिकों ने ऐसे गेहूं की खेती के बारे में एक एडवाइजरी जारी की है। जिसमें कहा है कि किसान बुवाई से पहले खेतों में पलेवा करें।। उन्नत बीजों और खाद की व्यवस्था करें। वैज्ञानिकों ने गेहूं की उन्नत प्रजातियों की भी जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि किसान सिंचित परिस्थिति में एचडी 3226, एचडी 2967, एचडी 3086, एचडी सीएसडब्लू 18, डीबीडब्लू 370, डीबीडब्लू 371, डीबीडब्लू 372 और डीबीडब्लू 327 की बुवाई करें. बीज की मात्रा 100 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर रखें। जिन खेतों में दीमक का प्रकोप हो तो क्लोरपाईरिफास 20 ईसी @ 5 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से पलेवा के साथ दें।