गो आश्रय स्थलों के संचालन में बजट की समस्या आड़े आ रही है। इस कारण प्रशासनिक अधिकारियों ने लोगों से मदद मांगने का मन बनाया है। डीएम का कहना है कि जो दानी 50 क्विंटल से अधिक भूसा दान में देंगे, उनके दरवाजे भूसा मांगने स्वयं पहुंचेंगे।
किसानों की वजह से चर्चा में आये लखीमपुर खीरी में मवेशियों के चारे का संकट है| गौशालाओं के सामने पैसे की वजह से चारे का संकट है|
मिली जानकारी के अनुसार खीरी जिले में यदि कोई समाजसेवी 50 क्विंटल भूसा गो-आश्रय स्थल के लिए दान करेगा, तो उस दान करने वाले व्यक्ति के घर डीएम एवं सीडीओ जाएंगे। वहीं यदि कोई व्यक्ति 30 क्विंटल भूसा दान देता है, तो उसके घर एडीएम जाएंगे। यदि कोई किसान 20 क्विंटल भूसा दान करता है, तो उसके घर संबंधित तहसील के एसडीएम जाएंगे|
यदि कोई व्यक्ति 10 क्विंटल भूसा दान देता है, तो उसके घर बीडीओ व तहसीलदार जाएंगे। इस संबंध में सभी गौ आश्रय स्थलों के संचालकों को अवगत कराया गया है, जो ऐसे भूसा दानियों से संपर्क कर इसकी सूचना संबंधित अधिकारियों को देंगे।
जनपद में लावारिस पशुओं द्वारा खेतों में फसलें बरबाद करने और सड़कों पर घूमने के मामले थमे नहीं हैं। कुल 45 गौ आश्रय स्थल संचालित हैं, जिनमें करीब 12 हजार गौवंश संरक्षित किए गए हैं।
संरक्षित पशुओं को चारा खिलाने के लिए प्रतिदिन प्रति पशु 30 रुपये बजट शासन से मिलता है, लेकिन इस नाममात्र की धनराशि से पशुओं को भरपेट चारा मुश्किल है। क्योंकि भूसा का रेट 800 से 1000 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गया है, जबकि हरा चारा इससे भी महंगा है।