देश में कुल 40 प्रतिशत प्याज की आपूर्ति महाराष्ट्र से की जाती है| महाराष्ट्र में किसान प्याज के दाम को लेकर बड़े संकट का सामना कर रहे हैं| राज्य के किसानों के मुताबिक प्रति किलो प्याज उत्पादन की लागत 15 से 20 रुपए तक पहुँच गई है|जबकि मौजूदा समय में राज्य के अलग-अलग मंडियों में किसान प्याज न्यूनतम एक रुपए से लेकर अधिकतम 10 रुपए तक बेचने को मजबूर है|
महाराष्ट्र के किसान इन दिनों बेहद परेशानी में हैं| मंडी में सिर्फ 150 रुपये प्रति क्विंटल का न्यूनतम दाम रहा| किसान हताश हैं कि यही हाल रहा तो वे कैसे आगे खेती करेंगे और कैसे कर्ज उतारेंगे| इसीलिए यहां के किसान सरकार से प्याज को भी न्यूनतम समर्थन मूल्य के दायरे में लाने की मांग कर रहे हैं|
इस साल प्याज की पैदावार उम्मीद से ज्यादा और अच्छी हुई है| वहीं इसकी कीमत में गिरावट का एक अन्य कारण है कि पहले किसान सीमित संख्या में प्याज की खेती किया करते थे| लेकिन अब प्याज की खेती करने वाले किसानों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है| बीते कई साल का इतिहास है कि राज्य में मंडी समिति की संख्या में इजाफा हुआ है| राज्य में स्टोरज की एक बड़ी समस्या है| सही स्टोरेज ना मिलने पर प्याज की क्वालिटी पर असर पड़ता है|
लासलगांव मंडी में पिछले 10 दिनों में लाल प्याज की 1 लाख 41 हजार 969 क्विंटल आवक हुई। 764 रुपयों की गिरावट होने से अंदाजे 10 करोड़ 84 लाख 64 हजार 316 रुपयों का नुकसान हुआ। वहीं नई गर्मी की प्याज की मंडी में आवक 2 हजार 552 क्विंटल रही। 10 दिनों में दिवसात 630 रूपयों की गिरावट होने से इसमें करीब 16 लाख 7 हजार 760 रुपयों का किसानों को नुकसान हुआ। नाशिक जिले में लासलगांव के साथ 17 प्याज की मंडियों हैं जिन्हें करीब 80 से 100 करोड रुपयों का नुकसान सहना पड़ा है।
प्याज उत्पादकों का कहना है कि बाजार में प्याज की कीमतें बढ़ें या गिरें, किसानों को अकसर नुकसान उठाना पड़ता है। इस समस्या के स्थायी हल के लिए सरकार को प्याज का न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करना चाहिए। इसके साथ ही, प्याज के आयात-निर्यात को देश के किसानों के हित देखते हुए नियंत्रित किया जाना चाहिए।