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चावल की पैदावार 3.6 करोड़ टन तक कम होने का अंदेशा

रूस-यूक्रेन युध्द के चलते फर्टिलाइजर खासकर DAP के दाम बढ़ने की वजह से भारत समेत पूरे एशिया में धान किसान इसका इस्तेमाल घटा रहे हैं। इसके चलते चावल के प्रोडक्शन में भारी कमी आने की आशंका है, जो दुनिया की आधी आबादी का मुख्य भोजन है।

भारत से लेकर वियतनाम और फिलिपीन्स तक बीते एक साल में विभिन्न उर्वरकों (खाद) के भाव तीन गुना तक हो गए हैं। इसके चलते किसानों ने उत्पादन बढ़ाने वाले केमिकल्स का इस्तेमाल कम कर दिया है।

‘इंटरनेशनल राइस रिसर्च इंस्टिट्यूट’ का आंकलन है कि इसकी वजह से अगले सीजन में चावल का वैश्विक प्रोडक्शन 10% यानी 3.6 करोड़ टन तक घट सकता है। इतने चावल से 50 करोड़ लोगों का पेट भरा जा सकता है। यदि यूक्रेन में युद्ध जारी रहता है तो चावल के उत्पादन में 10% से ज्यादा कमी आ सकती है|

भारत सहित कई एशियाई देशों की मुख्य खाद्य फसल है| हमारा देश दुनिया में चावल का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक और नंबर एक निर्यातक है| इसके बावजूद प्रति हेक्टेयर उत्पादन में विश्व औसत से काफी पीछे है|

एक रिपोर्ट के मुताबिक इसकी विश्व औसत पैदावार 4546 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर है, जबकि भारत औसतन 3576 किलोग्राम पैदा करता है. चीन दुनिया में सबसे ज्यादा प्रति हेक्टेयर 6832 किलो धान पैदा करता है|

चावल की सबसे ज्यादा बुआई भारत में होती है| लेकिन तकनीक की वजह से चीन कम क्षेत्र में बुआई करके भी उत्पादन में भारत से आगे है| चीन, भारत, इंडोनेशिया, बांग्लादेश और वियतनाम दुनियों के पांच बड़े धान उत्पादक देश हैं| इसके अलावा थाईलैंड, फिलीपीन्स, म्यांमार भी अच्छा उत्पादन करते हैं|

धान मुख्यतौर पर खरीफ फसल है| लेकिन कुछ राज्यों में यह रबी फसल भी होती है| हालांकि रबी सीजन में इसका उत्पादन बहुत कम है. भारतीय खाद्य निगम के मुताबिक 2019-20 में 118.43 मिलियन टन चावल का उत्पादन हुआ| जिसमें रबी सीजन में हुए 16.5 मिलियन टन का प्रोडक्शन भी शामिल है|

चावल वैज्ञानिक प्रो. रामचेत चौधरी के मुताबिक फिलीपीन्स स्थित इंटरनेशनल राइस रिसर्च इंस्टीट्यूट में राइस का सबसे बड़ा जीन बैंक है| इसमें 1 लाख से अधिक धान की प्रजातियां हैं| जिनमें से अकेले 60 हजार भारत की हैं|

करीब 25 फीसदी वैश्विक हिस्सेदारी के साथ भारत दुनिया का सबसे बड़ा चावल निर्यातक देश है| बासमती के प्रमुख निर्यातक देशों में भारत अग्रणी है|

एपिडा के मुताबिक भारत के बासमती का निर्यात 149 देशों में होता है| भारत में जम्मू कश्मीर, हिमाचल, पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, पश्चिमी यूपी के 77 जिलों में बासमती का जियोग्राफिकल इंडिकेशन (जीआई) टैग मिला हुआ है.

वर्ष 2019-20 में भारत से 44,54,656.70 मिट्रिक टन बासमती चावल का निर्यात करके भारत ने 31,025.91 करोड़ रुपये कमाए| भारत से मुख्य तौर पर ईरान, सउदी अरब, इराक, यूएई और कुवैत में इसका एक्सपोर्ट हुआ|

जबकि, गैर बासमती के निर्यात से भारत ने 14364 करोड़ रुपये कमाए| भारत मुख्य रूप से बांग्लादेश, नेपाल और सेनेगल को गैर-बासमती चावल का निर्यात करता है|

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