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लाल भिन्डी की खेती है , खेत में उगा खजाना

फ़रवरी-मार्च व जून-जुलाई में आप इसकी खेती का सकते हैं। इसकी की खेती के लिए गर्म और कम आद्र जलवायु अनुकूल होती है। पौधों के विकास के लिए 5-6 घंटे की धुप आवश्यक होती है। साथ ही इसे ज्यादा पानी की आवश्यकता भी नहीं होती। मध्यप्रदेश व उत्तरप्रदेश के किसानों ने लाल भिंडी की खेती करना शुरू कर दिया है। देश में लगभग सभी राज्यों में लाल इसकी खेती की जा सकती है।

बलुई दोमट मिट्टी लाल भिंडी की खेती के लिए उपयुक्त होती है। ध्यान रहे मिट्टी जीवांश व कार्बनिक पदार्थ युत होनी चाहिए। बीज/ पौधा रोपण करने से पूर्व मिट्टी के PH मान की जांच अवश्य कर लें। इसकी खेती के लिए मिट्टी का PH मान सामान्य होना चाहिए।

खेत तैयार करने की प्रक्रिया
किसान मानसून व ग्रीष्म ऋतू के समय लाल भिंडी की खेती कर सकते हैं।
बुबाई से पहले अच्छी तरह खेत की जुताई करें और कुछ समय जी लिए खुला छोड़ दें।
यदि आप एक एकड़ में इसकी खेती कर रहे हैं तो इसमें 15 गाडी पुरानी गोबर की खाद डालें और अच्छी तरह खेत की जुताई कर दें। ऐसे करने से गोबर की खाद मिट्टी में अच्छी तरह से मिल जाएगी।
प्रति हैक्टेयर के हिसाब से 100 कि.ग्रा. नाइट्रोजन, 60 कि.ग्रा. फास्फोरस, 50 कि.ग्रा. पोटाश खेत में डाल दें।
अब खेत में पानी छींट दें और पलेव कर दें। इसके 2-3 दिन बाद, जब जमीन की उपरी सतह सूखने लगे तब दोबारा इसकी जुताई कर दें। इसके बाद खेत को समतल करने के लिए पाटा चला दें।

खेत तैयार करने के बाद अब बीज रोपण की बारी आती है। इसके लिए सर्वप्रथम आप काशी लालिमा के बीजों को 10-12 घंटे के लिए पानी में भिगो कर रख दें। बीज का अच्छी तरह से अंकुरण हो इसके लिए इन्हें छाया में सुखा दें। लाल भिंडी के पौधों को लाइन से रोपित करें। लाइन से लाइन की दूरी 45-60 सेंटीमीटर व लाइन में पौधे से पौधे के बीच 25-30 सेंटीमीटर की दूरी रखे|

यदि आप अपने खेत में लाल भिंडी के बीज लगाना चाहते हैं तो इस समय आपके स्थानीय बाज़ार में ये शायद ही उपलब्ध हों। लेकिन आप ऑनलाइन माध्यम से इसके बीज हासिल कर सकते हैं। ऑनलाइन ई-कॉमर्स वेब साईट से आप इन बीजों की खरीदी कर सकते हैं।

अन्य सब्जियों के मुकाबले लाल भिंडी में कम रोग लगते हैं। भिंडी की इस किस्म में मच्छर, इल्ली और दूसरे कीट जल्दी नहीं लगते, लेकिन इसके पौधे को लाल मकड़ी से खतरा रहता है। ये पौधों की पत्तियों के नीचे की साथ पर झुण्ड बनाकर रहने लगते हैं और इनका रस चूसते रहते हैं। इससे पौधे का विकास रुक जाता है और धीरे-धीरे पूरा पौधा पीला होकर सूख जाता है। इससे बचने के लिए पौधों पर डाइकोफॉल या गंधक का सही मात्रा में छिडकाव करना चाहिए।

बाज़ार में मिलने वाली सामान्य भिंडी की अपेक्षा लाल भिंडी के दाम काफी ज्यादा है। हरी भिंडी जहाँ 50 रुपए किलो तक की कीमत पर मिलती है, वहीँ इसकी कीमत शुरुआत में 400 से 800 रुपए किलो तक जाती है। बड़े शहरों के मॉल में लोग इसे 300-400 रुपए प्रति 250/500 ग्राम तक में खरीदने को तैयार हैं।

एक एकड़ में करीब 40 से 50 क्विंटल तक उत्पादन हो सकता है। इसकी फसल भी सामान्य भिंडी की अपेक्षा जल्दी पक जाती है। करीब 45 से 50 दिनों में यह फसल तैयार हो जाती है। इसकी खेती से आप कम समय में ही अच्छी कमाई कर सकते हैं।

लाल भिंडी खाने के फायदे
कमाई के साथ-साथ स्वास्थ्य के लिए भी लाल भिंडी बेहद फायदेमंद है।
लाल रंग की भिंडी एंटी ऑक्सीडेंट, आयरन और कैल्शियम समेत अन्य पोषक तत्वों से भरपूर मात्र में पाए जाते हैं।
इसमें पाए जाने वाले एंटी ऑक्सीडेंट तत्व आपके दिल को सेहतमंद बनाते हैं।
हृदय, ब्लड प्रेशर, मधुमेह, कोलेस्ट्रॉल जैसी समस्या का सामना कर रहे लोगों के लिए यह बेहद लाभकारी है।
इसमें फोलिक एसिड भी पाया जाता है।
जिन गर्भवती महिलाओं में फोलिक एसिड की कमी होती हैं, लाल भिंडी उसे दूर करती है।

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