केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बताया कि काला नमक चावल पूर्वी उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थ नगर सहित 10 पड़ोसी ज़िलों के तराई क्षेत्र में ही उगाया जाता है। यह सुगंधित चावल की एक किस्म है जिसका किसानों को अन्य चावल किस्मों की तुलना में बेहतर मूल्य मिलता है।
केंद्रीय कृषि मंत्री ने अपने जबाब में बताया कि काला नमक चावल को केंद्र प्रायोजित योजना के तहत उत्तर प्रदेश सरकार ने एक ज़िला एक उत्पाद कार्यक्रम के तहत शामिल किया है, जिसके तहत इसके उत्पादन को बढ़ावा दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि काला नमक चावल के संवर्धन के लिए 12 करोड़ रुपए की एक परियोजना को मंज़ूरी दी गई है।
केंद्र सरकार देश के 24 राज्यों और जम्मू कश्मीर संघ राज्य क्षेत्रों के 193 ज़िलों में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन- चावल का क्रियान्वयन कर रही है। धान का उत्पादन बढ़ाने के लिए उत्तर प्रदेश के 21 ज़िलों को योजना के तहत शामिल किया गया है। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन-चावल के तहत राज्य सरकारों के माध्यम से किसानों को फसल पद्धतियों के बेहतर पैकेज पर क्लस्टर प्रदर्शन, फसल प्रणाली पर प्रदर्शन, उच्च उपज वाली किस्मों/ संकर बीजों का वितरण, उन्नत कृषि मशीनरी/उपकरण, एकीकृत पोषक तत्व और कीट प्रबंधन तकनीक, प्रसंस्करण ओर फसल उपरांत प्रयोग उपकरण, किसानों को फ़सलन प्रणाली आधारित प्रशिक्षण आदि गतिविधियों के लिए सहायता दी जाती है।
किसान कृषि मंत्री ने बताया कि राज्य सरकारें भी राज्य के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित राज्य स्तरीय मंज़ूरी समिति के अनुमोदन से राष्ट्रीय कृषि विकास योजना- कृषि और संबद्ध क्षेत्र के कायाकल्प के लिए लाभकारी दृष्टिकोण के तहत काला नमक चावल की खेती को बढ़ावा दे सकती हैं।
केंद्रीय कृषि मंत्री ने अपने जबाब में बताया कि काला नमक चावल को केंद्र प्रायोजित योजना के तहत उत्तर प्रदेश सरकार ने एक ज़िला एक उत्पाद कार्यक्रम के तहत शामिल किया है, जिसके तहत इसके उत्पादन को बढ़ावा दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि काला नमक चावल के संवर्धन के लिए 12 करोड़ रुपए की एक परियोजना को मंज़ूरी दी गई है।
जीआई टैग मिलने के कारण इस किस्म को खास पहचान मिली है| पूर्वांचल में 2009 तक लगभग 2 हजार हेक्टेयर जमीन में ही काले नमक चावल की खेती होती थी| लेकिन वर्तमान में पूर्वांचल में इसका रकबा 45 हजार हेक्टेयर तक पहुंच गया है| यहां के सिद्धार्थ नगर क्षेत्र में इसका सबसे ज्यादा रकबा है|
बताया गया कि चावल की इस किस्म का रकबा 1 लाख हेक्टेयर तक पहुंचने का लक्ष्य रखा गया है| बता दें कि चावल की यह खास किस्म किसानों के लिए बेहद फायदेमंद हो सकती है| दरअसल, इसकी कीमत बासमती राइस से भी अधिक होती है| चावल की इस किस्म का नाम काला नमक किरण है जिससे प्रति एकड़ 22 क्विंटल तक उत्पादन हो सकता है।
चावल की इस विशेष किस्म में शुगर नहीं होता है लेकिन प्रोटीन, आयरन और जिंक जैसे पोषक तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं| इसमें जहां जिंक चार गुना, आयरन तीन गुना और प्रोटीन दो गुना अन्य किस्मों की तुलना में अधिक पाया जाता है|
यही वजह है कि इसकी विदेशों में भी मांग शुरू हो गई है| 2019-20 में कई देशों में इसको निर्यात किया गया है| सिंगापुर में पिछले साल सबसे पहले 200 क्विंटल चावल निर्यात किया गया था| जिसके बाद वहां के लोगों को यह काफी पसंद आया और दोबारा 300 क्विंटल चावल मंगाया गया| इसी तरह दुबई को 20 क्विंटल तथा जर्मनी को एक क्विंटल चावल निर्यात किया गया है|
पूर्वांचल के 11 जिलों को जीआई टैग मिल चुका है| यह जिले हैं महाराजगंज, गोरखपुर, सिद्धार्थ नगर, संत कबीरनगर, बलरामपुर, बहराइच, बस्ती, कुशीनगर, गोंडा, बाराबंकी, देवरिया और गोंडा. बता दें कि जिन जिलों को जीआई टैग मिल चुका है|