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पेट्रोल से महंगा मण्डी में टमाटर तो इसके की कारण भी है।

सब्जी मंडी में टमाटर के भाव आसमान छू रहे हैं। करीब एक महीने से टमाटर के दाम 200 रुपये से नीचे नहीं आ रहे हैं। जो टमाटर कुछ महीने पहले बाजारों में 10 रुपये किलो बिकता था। टमाटर की ज्यादा पैदावार से किसान तंग आ गए थे और नालियों में, सड़कों पर उसे फेंक रहे थे। किसान इसलिए तंग आ गए थे। टमाटर की लागत भी नहीं निकल पा रही थी। टमाटर के रिकार्ड दाम की वजह से अब वही किसान सदमे में हैं। किसान इस कारण भी दुखी हैं कि उन्होंने अपनी उपज को औने-पौने दाम पर क्यों बेच दिया।

बात करते हैं टमाटर के दामों में वृद्धि की तो इसकी प्रमुख वजह है – लगातार बारिश, हिमाचल प्रदेश जैसे राज्य में कई इलाकों में बादल फटने से फसल चौपट होने से भी टमाटर कीमतें लगातार बढ़ती गयी हैं। लगातार बारिश ने टमाटर की फसल को बड़े पैमाने पर चौपट किया है। जहां-जहां टमाटर की पैदावार अधिक होती है, वहां-वहां बारिश ने उपज को प्रभावित किया है। ऐसे इलाकों में हिमाचल प्रदेश भी है।

आमतौर पर जो टमाटर खेत से निकल कर बाजारों में पहुंचना चाहिए था ,वह टमाटर खेत में ही सड़ गया । टमाटर की मांग में कोई कमी नहीं है। टमाटर की मांग हमेशा की तरह बनी हुई है जबकि सप्लाई बेहद कम। ऐसे में भाव तेजी से बढ़े हैं।

हिमाचल प्रदेश की तरह से ही महाराष्ट्र और कर्नाटक में टमाटर की बहुत अधिक पैदावार होती है। इन दोनों राज्यों में टमाटर पर वायरस का हमला हुआ और इससे फसल बुरी तरह प्रभावित हुई। टमाटर पर दो वायरस का अटैक हुआ। टमाटर के पौधों को कुकुंबर मोजैक वायरस और टोमौटो मोजैक वायरस ने चपेट में ले लिया। पिछले तीन साल में इन दोनों वायरस का प्रकोप टमाटर पर अधिक देखा जा रहा है। इन दोनों वायरसों ने टमाटर की फसल को बड़े पैमाने पर चौपट किया है जिससे पैदावार में भारी कमी आई है. बाजारों में इस वजह से भी टमाटर की आवक कम हुई है और दाम आसमान छूने लगे।

टमाटर का लदान (ढुलाई) की समस्या भी इस फल की महंगाई का कारण है। जिन प्रदेशों में टमाटर की खेती होती है, वहां मॉनसूनी बारिश ने बाढ़ और जलभराव की समस्या खड़ी हो गई है। अब भी देश के अलग-अलग हिस्सों में भी बारिश से बाढ़ की समस्या हुई है। हरियाणा में तो अभी खेतों में बाढ़ और बरसात का पानी भरा हुआ है। इस वजह से टमाटर की ढुलाई बहुत कम हो गई है। हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में इन प्रदेशों में बाढ़ और पहाड़ दरकने की वजह से सड़कों और पुल टूट गये हैं। पड़ोसी जिलों तक जाना संभव नहीं है। इससे टमाटर खेतों से निकल कर बाजारों तक नहीं पहुंच पा रहा है। यह वजह भी है कि मंडियों में टमाटर की आवक कम हुई है जिससे दाम में बढ़े है।

एक कारण यह भी है कि बीते तीन सालों से किसानों को टमाटर के अच्छे दाम नहीं मिल रहे थे।इस बार टमाटर की खेती पहले से कम हुई है।किसानों में टमाटर की खेती को लेकर दिलचस्पी नहीं दिखी। इस साल किसानों को लगा कि पिछले साल की तरह इस बार भी उन्हें खेती में घाटा होगा या बहुत कम मुनाफा होगा। इसे देखते हुए किसानों ने इस बार टमाटर की खेती कम की. इसका बुरा असर बढ़े हुए रेट के रूप में दिख रहा है। टमाटर की नई फसल सितंबर के महीने में ही आतीं हैं।

बाज़ार के जानकारों का कहना है कि अगस्त और सितंबर महीनों में टमाटर के भाव में गिरावट की कोई संभावना नजर नहीं है । अभी भी मानसून करवट बदल रहा है। दिल्ली की बात करें तो जब तक हिमाचल और उत्तराखंड में मौसम नहीं सुधरेगा, तब तक दिल्ली में टमाटर के भाव नहीं कम होंगे । इसके अलावा जब टमाटर की नई फसल निकलेगी, तब जाकर दाम में गिरावट की संभावना हैPHOTO CREDIT – pixabay.com

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