गर्मी में गेहूं कटाई के बाद ग्रीष्मकालीन गन्ने की बुआई शीघ्रतिशीघ्र कर दें | इसके लिए पंक्तियों की दूरी घटाकर 60 से.मी. अथवा 90:30 से.मी. की दोहरी पंक्तियों में बुआई करें | देर से बुआई की दशा में फसल को ब्यांत हेतु कम समय मिल पाता है | अत: इसके लिए संस्तुत प्रजातियों की ही बुआई करें | गन्ने के अधिक व त्वरित जमाव के लिए गन्ना बीज के टुकड़ों को पानी में 4–6 घंटे तक डुबोकर बुआई करें |
बुआई के समय खेत में पर्याप्त नमी का होना अति आवश्यक है | बुआई के बाद पाटा आवश्य लगाएं | पेडी गन्ने में अधिक ब्यांत की अवस्था में गन्ने की पंक्तियों में मिट्टी चढ़ाना आवश्यक है | मिट्टी ,ट्रैक्टर चालित यंत्रों से भी चढाई जा सकती है |
फरवरी माह में बोये गये फसल में इस माह (60 दिन पर) सिंचाई उपरान्त 50 किग्रा0 नेत्रजन /हे0 (110 किग्रा0 यूरिया) को टापड्रेसिंग करें तथा गुड़ाई करें। शरदकालीन गन्ने में यदि यूरिया की टापड्रेसिंग अवशेष हो तो 60 किग्रा0 नेत्रजन /हे0 (132 किग्रा0 यूरिया) को उपयोक्तानुसार टापड्रेसिंग करें|
शरदकालीन गन्ने के साथ यदि अन्त: फसलें जी गयी हों तो उनकी कटाई उपरान्त तत्कालीन सिंचाई कर यूरिया की टापड्रेसिंग व गुड़ाई करें। यदि दो थानों के मध्य रिक्त स्थान (45सेमी0) है पूर्व अंकुरित पैड़ों की रोपाई करें।
बावग गन्ने की कटाई उपरान्त यदि उसकी पेड़ी रखनी तो गन्ना कटाई के समय ध्यान देना चाहिए कि केवल गन्ना ही काटें तथा देर से निकले किल्लों को छोड़ दें। सूखी पत्तियों के समान रूप से बिखेरकर सिंचाई करें तथा सूखी पत्तियों पर लिण्डेन धूल 1.3 : का 25 किग्रा0/हे0 की दर से धूसरण करें। सिंचाई से पूर्व गैप फिलिंग करें तथा 90 किग्रा0/हे0 नेत्रजन (200 किग्रा0 यूरिया) की जड़ के पास प्रयोग करें।
फरवरी-मार्च में रखे गये पेड़ी गन्ना में काला चिकटा नियंत्रण हेतु इन्डोसल्फान 35 ई0सी0 का 670 मि0ली0 दवा के साथ पत्तियों की संख्या के आधार पर 3 से 5 प्रतिशत यूरिया के घोल का छिड़काव करें।
चोटी बेधक व अंकुर बेधक से ग्रसित पौधों को पतली खुरपी द्वारा भूमि सतह से काटकर चारे में प्रयोग करें। पत्तियों की निचली सतह पर अण्ड समूहों को देखकर पत्ती काटकर निकाल ले तथा अण्डों को नष्ट करें।
गेहू , चना, मटर, मसूर आदि के बाद यदि गन्ना बोना हो तो तत्काल सिंचाई कर ओट आने पर खेत तैयार कर बुवाई करें। बीज गन्ना यदि सम्भव हो तो ऊपरी 1/3 भाग का ही प्रयोग करें। बीज गन्ना को पानी में कम से कम रात भर डाल दें। दो या तीन ऑंख के टुकड़े काटकर 60 सेमी0 की दूरी पर एम0ई0एम0सी0 से उपचारित करे।
भूमि की उर्वरा शक्ति को बनाये रखने तथा उर्वरक व्यय में बचत हेतु सिंचाई उपरान्त 5 किग्रा0 एजोटोबैक्टर व 5 किग्रा0 पी0एस0बी0/है0 का प्रयोग जड़ के पास कर गुड़ाई करें।
खरपतवार नियंत्रण हेतु कस्सी, फाबड़े या कल्टीबेटर से गुड़ाई करें।
प्रत्येक 15-20 दिन पर आवश्यकतानुसार 3-4’’ पानी लगायें। हल्की कम अन्तर पर सिंचाई अपेक्षाकृत उपयोगी होती है।