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बिहार में घट गया खेती का रकबा, पशुधन बढ़ा

कृषि क्षेत्र में एक सर्वेक्षण की रिपोर्ट बता रही है कि खेती में बढ़ती लागत और घटती जोत के कारण फसल क्षेत्र कम होने की भरपायी पशु एवं मत्स्य संसाधन ने कर दी है|

बिहार आर्थिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट बता रही है कि खेती में बढ़ती लागत और घटती जोत के कारण फसल क्षेत्र कम होने की भरपायी पशु एवं मत्स्य संसाधन ने कर दी है| पांच साल में पशुधन में दस और मछली पालन में सात फीसदी की वृद्धि के कारण गरीबी भी घटी है|

रोजगार के अवसर बढ़े हैं|ग्रामीण परिवारों विशेषकर लघु और सीमांत किसानों के लिये जोखिम घट गया है| पशुधन का 2020- 21 में राज्य के कृषि संबंधी सकल राज्य घरेलू उत्पाद में 34.7 प्रतिशत हिस्सा था|

भोजन और उपभोग संबंधी आदतों में बदलाव के कारण मछली और मांस उत्पादों का उत्पादन बढ़ा है| राज्य में मांस उत्पादन 3.26 लाख टन से बढ़कर 3.85 लाख टन पर पहुंच गया है| अंडा के उत्पादन में 32.4 फीसदी की वृद्धि हुई है| राज्य में 301.32 करोड़ अंडा उत्पादन रहा है|

राज्य में गाय- भैंसों की संख्या बढ़ी, बैल- भैंसा घटे
बीते दस साल में राज्य के पशुधन में 36 लाख की वृद्धि हुई है| 2007 में पशुधन 329.4 लाख था| अब यह 365.4 लाख हो गया है| पॉल्ट्री पक्षी की संख्या 127.5 लाख से बढ़कर 165.3 हो गयी है| दुग्ध उत्पादन बढ़ाने के लिये कृतिम गर्भाधान से लेकर अन्य योजनाओं के कारण राज्य में गाय की संख्या बढ़ी है|

गाय- बैल की संख्या 154 लाख हो गयी है| यह 2012 में 122.3 लाख थी| इसमें तीन साल से बड़े नर की संख्या 19.2 से घटकर 13.5 लाख हो गयी है| वहीं भैंसों के संख्या 40.2 लाख से घटकर 36.7 लाख पर पहुंच गयी है| भेड़, सूअर, घोड़ा- घोड़ी घट गये हैं|

 

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