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हिमाचल प्रदेश : चीड की पत्तियों से कंप्रेस्ड बायोगैस तैयार करने पर विचार

हिमाचल प्रदेश के जंगलों में बड़ी संख्या में चीड़ के पेड़ मौजूद हैं । चईड की पत्तियों के चलते गर्मियों में आग लगने के मामले बढ़ जाते हैं । अब हिमाचल प्रदेश चीड़ के पत्तियों का सही उपयोग करने पर विचार कर रही है । इनका इस्तेमाल कंप्रेस्ड बायोगैस तैयार करने के लिए किया जाएगा। सरकार इस दिशा में एक पायलट प्रोजेक्ट भी शुरू करने जा रही है ।

हिमालयी क्षेत्रों में पाए जाने वाले चीड़ के पेड़ की पत्तियां नॉन-बॉयोडिग्रेडेबल होती हैं। इनमें ज्वलनशील प्रकृति ज्यादा होती है ।  ये पत्तियां जंगलों मे आग लगने का एक बडा कारण बनती है।

हिमाचल प्रदेश में हर वर्ष वनों में आग लगने की 1,200 से 2,500 घटनाएं होती हैं। इस समस्या के समाधान और वन संपदा से स्थानीय लोगों की आर्थिकी सुदृढ़ करने के लिए प्रदेश सरकार चीड़ की पत्तियों से संपीड़ित (कंप्रेस्ड) बायोगैस के उत्पादन पर विचार कर रही है। कंप्रेस्ड बायोगैस (सीबीजी) उत्पादन के लिए राज्य सरकार और ऑयल इंडिया लिमिटेड (ओआईएल) के बीच एक समझौता ज्ञापन हस्ताक्षरित किया गया है। इससे पर्यावरण अनुकूल जैविक कचरे के उचित निपटारे में सहायता मिलेगी।

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