गाय की कई ऐसी नस्लें है, जो दिन भर में 50 लीटर तक दूध देती हैं, लेकिन 80 लीटर तक देने का रिकॉर्ड सिर्फ गिर गाय के पास है| ऐसे में डेयरी फार्मिंग करने वाले ज्यादातर पशु पालकों के लिये गिर गाय की पहली पसंद बन चुकी है|
इस गाय की अहमियत पहचानकर गिर गाय के संरक्षण का काम किया जा रहा है| गुजरात के सौराष्ट्र, राजकोट, जूनागढ़, सोमनाथ, भावनगर और अमरेली जिलों में बड़ी संख्या में गिर गाय पालन किया जाता है| अब धीरे-धीरे राजस्थान, मध्य प्रदेश, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के पशु पालकों के बीच भी गिर गाय फेमस हो रही है|
गिर गाय को अच्छी कद-काठी वाली मजबूत गाय के तौर पर जानते हैं, जिसमें बीमारियों से लड़ने की अद्भुत क्षमता होती है| भारत के अर्ध-शुष्क जलवायु वाले इलाकों में गिर गाय से बेहद कम खर्च में बंपर मुनाफा ले सकते हैं| गिर गाय के दूध, गोबर और गौ मूत्र की बाजार में काफी मांग होती है| गिर गाय पालने वालों का कहना है कि गिर गाय से दिन भर में 50-80 लीटर तक दूध का उत्पादन मिल जाता है, जो पूरी तरह इस गाय के पोषण आहार पर निर्भर करता है|
गिर गाय के लिये 100 किलोग्राम पशु आहार पहले से ही बनाकर रख लिया जाता है|
इसमें 10 किग्रा. बिनौला खली, 25 किग्रा. चना और मूंग की दाल का पाउडर, 40 किग्रा गेहूं और मक्का का दलिया, 22 किग्रा. सोयाबीन की दाल का पाउडर, 2 किग्रा दूसरे जरूरी खनिजों के साथ 1किग्रा नमक का प्रयोग किया जाता है|
इन सभी चीजों से बने पशु आहार में से रोजाना एक से डेढ़ किग्रा. आहार गिर गाय को चारे में मिलाकर खिलाना चाहिये|
गिर गाय की सेहत और दूध उत्पादन में सुधार के लिये 400 ग्राम बाटा प्रति लीटर देने की सलाह भी दी जाती है|