tag manger - बिहार में दो दिन के मखाना महोत्सव में हिस्सा लेंगे किसान, निर्यातक और वैज्ञानिक – KhalihanNews
Breaking News

बिहार में दो दिन के मखाना महोत्सव में हिस्सा लेंगे किसान, निर्यातक और वैज्ञानिक

बिहार में पैदा होने वाले मखाना को जी.आई.टैग मिलने के बाद अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी सम्मानजनक पहचान बनी है। सूबे में पहली बार बड़े स्तर पर मखाना महोत्सव आयोजित किया जाएगा। पहली और दूसरी दिसंबर को होने वाले मखाना महोत्सव में किसान, निर्यातक और वैज्ञानिक शामिल होंगे।

मिली जानकारी अनुसार पटना के ज्ञान भवन में एक से दो दिसंबर तक मखाना महोत्सव का आयोजन किया जाएगा। इस महोत्सव में राष्ट्रीय फलक पर मखाना के उत्पादन और नए बाजार को लेकर चर्चा की जाएगी। इस दौरान विभिन्न राज्यों के किसान, निर्यातक और वैज्ञानिक हिस्सा लेंगे।

इस महोत्सव के माध्यम से राष्ट्रीय फलक पर मखाना के उत्पादन में वृद्धि और बाजार के नए आयाम की तलाश की जाएगी। मखाना के डिजिटल मार्केटिंग के साथ नए बाजार को लेकर चर्चा की जाएगी। किसानों का कहना है कि इस तरह के महोत्सव होने की वजह से पिछले साल की तुलना में इस बार दाम तीन से चार गुना तक अधिक मिला है। इसके साथ ही व्यापारी किसानों के दरवाजे पर फसल खरीदने के लिए पहुंच रहे हैं।

अब फसल बेचने के लिए व्यापारी खोजना नहीं पड़ता है बल्कि व्यापारी दरवाजे पर फसल तैयार होने से पहले पैसा लेकर खड़े रहते हैं। इसकी दो मुख्य वजह एक मखाना महोत्सव है, तो दूसरी वजह इस बार अच्छी बारिश नहीं होने से फसल बर्बाद होने से भी बची है।

महोत्सव में मखाना के प्रगतिशील किसान, उत्पादक कंपनी, देश और राज्य के प्रमुख निर्यातकों, कारोबारियों, वैज्ञानिकों को आमंत्रित किया गया है। वहीं मखाने की खेती एक जिला एक उत्पाद के तहत 6 जिलों में की जा रही है जिसमें दरभंगा, मधुबनी, सुपौल, सहरसा, कटिहार और अररिया शामिल हैं। वहीं मखाने के आर्थिक महत्व को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार के द्वारा मखाना विकास योजना का संचालन 2019-20 से किया जा रहा है। इसके अन्तर्गत मखाना की उन्नत किस्मों के बीज उत्पादन और प्रत्यक्षण और क्षेत्र विस्तार को बढ़ावा देने के लिए सहायता अनुदान का प्रावधान किया गया है।

सुपौल और समस्तीपुर जिले जाने जाते हैं। मधुबनी जिले में ही 25,000 से ज्यादा तालाब हैं, जहां मखाने की खेती होती है। देश में लगभग 15 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में मखाने की खेती होती है, जिसमें 80 से 90 फीसदी उत्पादन अकेले बिहार में होता है। इसके उत्पादन में 70 फीसदी हिस्सा सिर्फ मिथिलांचल का है।लगभग 120,000 टन बीज मखाने का उत्पादन होता है, जिससे 40,000 टन मखाने का लावा प्राप्त होता है।

देश में मखाने का कुल कारोबार 550 करोड़ रुपए का है। प्रति 100 ग्राम भुने मखाने में 9.7 फीसदी प्रोटीन, 75 फीसदी कार्बोहाइड्रेट, आयरन और वसा के अलावा 382 किलो कैलोरी मिलती है। इसमें दूध और अंडे के मुकाबले ज्यादा प्रोटीन पाया जाता है। अगर इसे नियमित खाया जाए तो यह काफी पौष्टिक है।

About

Check Also

बिहार : ‌सात जिलों में किसानों को कुफरी चिप्सोना के बीज उपलब्ध कराया गया.

आलू का उन्नत बीज मुहैया कराने को बिहार सरकार ने अच्छा कदम उठाया है। सरकार …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *