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राजस्थान : कोटा संभाग के लहसुन उत्पादको को लागत तक नहीं मिल रही

कोटा संभाग में इस बार 115000 हेक्टेयर में लहसुन की फसल हुई| इससे करीब सात लाख मैट्रिक टन का उत्पादन हुआ| इसी के चलते भाव नीचे गिर गए हैं| लहसुन की प्रदेश के अन्य राज्यों में कम मांग है|

मंडी में माल बेचने आए किसानों का लहसुन 1200 रुपए प्रति क्विंटल बिका है| उनका कहना है कि एक कट्टे पर 625 रुपए मिले हैं| जबकि मंडी तक लाने में ही उनका 300 रुपए का खर्चा हो गया. पिछले साल लहसुन 5000 से 7000 प्रति क्विंटल तक बिका था| छोटी कलियों वाला लहसुन 2-3 रुपए किलो बिक रहा है| जबकि मोटा माल जो अच्छा है, वह 15 से 20 रुपए किलो बिक रहा है|

इसी तरह सांगोद से 10 किलोमीटर आगे से अपनी फसल बेचने आए किसान का कहना है कि वह 23 कट्टे लहसुन लेकर आया था| इसका किराया 4000 रुपए है, लेकिन उसका लहसुन 1700 रुपए क्विंटल बिका है| इसके चलते उसे 11000 रुपए ही मिलेंगे|

कृषि अधिकारियों के अनुसार लहसुन उगाने में काफी मेहनत करनी पड़ती है| जब किसानों ने बीज खरीदा था, तब 60 से 80 किलो के आसपास का था| इसके अलावा ट्रैक्टर से हकाई, जुताई और बुवाई के साथ-साथ मजदूर ज्यादा लगते हैं| खेत में कचरा साफ करना व निंराई-गुड़ाई भी काफी बार होती है, ये मेहनत कटाई तक जारी रहती है| लेबर का खर्चा भी इसमें होता है| करीब लागत 5000 रुपए बीघा तक हो जाती है| इसके साथ ही यूरिया, डीएपी और दवाइयों का खर्चा भी 4000 बीघा के आसपास होता है| इस तरह लहसुन के उत्पादन में 25 से 30 हजार रुपए बीघा का खर्चा होता है|

कोटा संभाग की कई मंडियों में तो थोक में आढतिये उनकी उपज का दाम पांच रुपए प्रति किलो तक लगा रहे हैं। बिचौलिये लहसुन के इन कम दामों का कोई सीधा लाभ आम उपभोक्ता तक नहीं पहुंचने देते। यह छोटी कली का लहसुन बाजार में आम उपभोक्ता को 20 से 25 रुपए प्रति किलो पर ही खरीदना पड़ रहा है।

हाडोती संभाग के ही नहीं बल्कि पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश से भी बड़ी संख्या में लहसुन उत्पादक किसान अपनी उपज को अच्छे भाव मिलने की उम्मीद में झालावाड़ जिले के भवानीमंडी, अकलेरा, मनोहरथाना, बारां जिले में लहसुन की खरीद-फरोख्त की दृष्टि से सबसे अधिक महत्वपूर्ण माने जाने वाली छबडा़-छीपाबड़ोद की मंडियों में पहुंचते रहे हैं|

मंडी में लहसुन के दाम इतने गिर गए हैं कि मध्यप्रदेश से आने वाले इन किसानों के लिए उत्पादन लागत निकालना तो दूर लहसुन की ढुलाई में खर्च होने वाला किराया-भाड़ा निकालना भी मुश्किल हो रहा है। कोटा जिले में सांगोद क्षेत्र के दल्लीपुरा गांव में बीते दिनों एक ऐसा ही वाकया सामने आया जब ट्रैक्टर में लादकर सांगोद की मंडी में लहसुन बेचने पहुंचे एक किसान को जब डीजल खर्च जितने भी दाम नहीं मिल पाए तो उस हताश किसान ने लहसुन बेचने के बजाय वापस दल्लीपुरा लौटकर गांव के बाहर सड़क पर अपनी सारी उपज को फेंक कर अपना गुस्सा जताया।

हाडोती संभाग के कोटा, बूंदी, बारां, झालावाड़ जिले के करीब एक लाख किसान परिवारों ने 1.20 लाख हेक्टेयर से भी अधिक कृषि भूमि पर लहसुन की बुवाई की थी।

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