लगातार दूसरे साल भी झारखंड को सूखा (सुखाड़) की वजह से किसानों को भी भुखमरी का सामना करना पड़ा है। बारिश न होने से तैयार खेतों में धान की पौध (बिचड़ा) नहीं लगाया जा सका। मानसून की खबरें जानकर जिन किसानों ने धान की पौध रोपाई की वह पानी के अभाव में खेत में ही सूख गईं।
सूखे के कारण राज्य में खरीफ की खेती पर व्यापक अस पड़ा है।। धान की खेती सबसे अधिक प्रभावित हुई है। सूबे में राज्य में सुखाड़ की स्थिति को देखते हुए राज्य सरकार केंद्र से लगभग 7000 करोड़ रुपए की आर्थिक मदद मांग सकती है। इसके लिए अभी रिपोर्ट तैयार की जा रही है। आंकड़े यह भी बता रहे हैं कि सूखे कारण राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों से करीब सात लाख किसानों का पलायन हुआ है।
सूबे के कॄषि मंत्री बादल पत्रलेख ने कहा कि सूखा राहत पैकेजे के तौर पर पिछले साल 9082 करोड़ रुपये का प्रस्ताव केंद्र को भेजा गया था. पर अभी तक यह राशि नहीं मिली है। केंद्र के इस बर्ताव की आलोचना करते हुए “कृषि मंत्री ने कहा कि पिछले साल सूखे का आकलन करने के लिए केंद्र की टीम झारखंड दौरे पर आयी थी. टीम ने भी पाया था कि राज्य में सूखे को लेकर हालात गंभीर थे। इसके बाद सूखे की घोषणा के लिए निर्धारित प्रारूप से मुआवजे का दावा करने के लिए प्रस्ताव भेजा गया था, पर केंद्र ने हमारे साथ सौतेला व्यवहार किया., अभी तक पैसौं का आवंटन नहीं हुआ।”
पिछले साल भी झारखंड में सूखा पड़ा था और राज्य के 226 प्रखंडों को सूखाग्रस्त घोषित किया गया था। इसके बाद किसानों को राहत पहुंचाने के तहत पिछले साल राज्य सरकार ने ‘मुख्यमंत्री सुखाड़ राहत योजना’ की शुरुआत की थी। जिसके तहत प्रत्येक किसान को 3500 रुपए देने का एलान किया गया था। यह राशि राज्य सरकार के फंड से दी जा रही थी। हालांकि इस योजना को लेकर भी सवाल उठे थे। क्योकि राज्य के अधिकांश किसानों को इस योजना का लाभ नहीं मिल पाया था। इस योजना के तहत लाभ लेने के लिए राज्य के लगभग 31 लाख से अधिक किसानों ने आवेदन दिया था, पर मात्र 12 लाख किसानों को ही योजना का लाभ मिला था।
कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने कहा कि राज्य के 17 जिलों के 158 प्रखंड सूखे से प्रभावित है। मॉनसून की बेरूखी के कारण इन प्रखंडों में गंभीर सूखा पड़ा है। सूखे को लेकर बादल पत्रलेख ने कहा कि विभाग ने सूखे का जमीनी सर्वेक्षण किया और इससे पता चला है कि राज्य के 158 प्रखंड सूखे की चपेट में हैं। उन्होंने कहा कि सूखे का प्रस्ताव जल्द ही कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। वहां से इसकी मंजूरी मिलने के बाद सूखा राहत के लिए केंद्र से संपर्क किया जाएगा।