लखनऊ : पांचवें चरण के चुनावी दंगल में बदले हुए सियासी समीकरणों में बीजेपी के सामने पिछली बार की तरह नतीजे दोहराना आसान नहीं दिख रहा है तो सपा गठबंधन के लिए भी चुनौतियां कम नहीं है| ऐसे में सबसे बड़ी चुनौती कांग्रेस के सामने अमेठी-रायबरेली में है| अमेठी में राहुल गांधी को 2019 में हार का सामना करना पड़ा था| ऐसे में कांग्रेस हरहाल में अमेठी में वापसी करना चाहती है| बसपा भी इस चरण में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए बेताब है|
पांचवें चरण में अयोध्या के साथ-साथ गांधी परिवार का गढ़ रहे अमेठी जिले की सीटों पर सियासी दलों की परीक्षा होनी है तो रायबरेली जिले की भी एक सीट भी इसी चरण में है| सुल्तानपुर, अयोध्या, अमेठी, बाराबंकी जैसे अवध के जिले हैं तो पूर्वांचल के तराई बेल्ट के तहत आने वाले बहराइच, गोंडा और श्रावस्ती जैसे अहम जिले की सीटें है| इसके अलावा प्रतापगढ़ प्रयागराज, कौशंबी जिलों की सीटों के साथ-साथ बुंदलेखंड के चित्रकूट जिले की भी दो सीटें शामिल हैं|
पांचवें चरण की जिन 61 विधानसभा सीटों पर चुनाव पर चुनाव हो रहे हैं, उनमें 90 फीसदी सीटों पर बीजेपी और अपना दल गठबंधन का कब्जा है| 2017 के विधानसभा चुनाव में इन 60 सीटों में से 51 सीटें बीजेपी ने जीती थी जबकि उसके सहयोगी अपना दल (एस) को दो सीटें मिली थी| वहीं, सपा के खाते में महज 5 सीटें मिली थी| इसके अलावा कांग्रेस को एक सीट पर जीत मिली थी और दो सीटों पर निर्दलीय ने जीती थी| बसपा इस चरण में खाता भी नहीं खोल सकी थी|