पंजाब में आम आदमी पार्टी की भगवन्त मान सरकार ने 18 जिलों के किसानों को खराब होने का मुआवजा जारी कर दिया है।जिन किसानों की धान की फसल बारिश और बाढ़ से बर्बाद हो गई है, उनकी फसल के लिए सरकार 6800 रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से मुआवजा देने का ऐलान किया था।
भारत सरकार राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष और राष्ट्रीय आपदा कोष के माध्यम से जो भी मदद किसानों को देती रही है। उसमें फसल के अंकुर के नष्ट होने पर मुआवजा देने का कोई प्रावधान नहीं रहा है। यह पहली बार है कि पंजाब सरकार फसल की नई पौध के नुकसान को किसानों का नुकसान मान रही है।
जिन जिलों में बाढ़ और मूसलाधार बारिश से धान की बुवाई नहीं हो सकी उनमें जालंधर, लुधियाना, मोगा, मोहाली, पटियाला, पठानकोट, रोपड़ और संगरूर जिलों में राहत वितरण का काम शुरू भी हो गया है। जुलाई माह में फ्लैश फ़्लड से प्रभावित ज़िलों में 103 करोड़ रुपये का बतौर मुआवज़ा भुगतान किया जा चुका है जबकि अगस्त में 86 करोड़ की राशि इसी उद्देश्य से जारी की जा चुकी है। बहुत से गांव अब भी पानी में डूबे हुए हैं इसलिए यह क्षति का आकलन पूरी तरह से नहीं हो सका है।
सात जुलाई से बारह जुलाई तक आई अप्रत्याशित बाढ़ से करीब 6.25 लाख एकड़ में लगी धान की नई फसल जलमग्न हो गई थी और 2.75 लाख एकड़ में धान की दोबारा रोपाई करनी पड़ी है।
बहरहाल, क्षतिग्रस्त गेंहू की फसल के लिए कोई मुआवज़ा नहीं दिया गया है। रबी के मौसम के दौरान मार्च में ओलावृष्टि से सैकड़ों एकड़ गेंहू की तैयार फसल बर्बाद हो गई थी। सरकार ने उस वक्त आपदा प्रतिक्रिया कोष से मदद देने का वायदा किया था, लेकिन अब तक कोई मदद प्रदान नहीं की गई है। सूत्रों की मानें तो राज्य की
पड़ताल समिति ने मुआवजे की मांग को इस आधार पर खारिज कर दिया था कि गेहूं की फसल तो बंपर हुई है। इसका मतलब है कि किसानों को बहुत नुकसान नहीं हुआ है।