tag manger - बिहार की मछलियां जाती हैं पश्चिमी बंगाल और नेपाल तक – KhalihanNews
Breaking News

बिहार की मछलियां जाती हैं पश्चिमी बंगाल और नेपाल तक

बिहार-सरकार जल किसानों को बढ़ावा देने के लिए मछली पालन के लिए मदद करेगी। इस धंधे को शुरू करने को लेकर नीतीश-सरकार आवेदक किसानों को 70 प्रततिश तक की सब्सिडी देगी। सूबे में रिकॉर्ड मछली उत्पादन हुआ है।

‘तालाब मात्स्यिकी विशेष सहायता योजना” को लागू किया है। इसके तहत राज्य सरकार द्वारा मछली पालन के लिए तालाब निर्माण, बोरिंग (नलकूप) पंपसेट के साथ शेड निर्माण और मत्स्य इनपुट सहित अन्य कुल इनपुट इकाई लागत पर 70 प्रतिशत तक सब्सिडी देने का प्रावधान किया है। जिससे राज्य में छोटे और सीमांत किसान और मछुआरा मजदूरों को रोजगार से जोड़कर उनकी आय में वृद्धि किया जा सकेगा। इससे राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूत भी बनाया जा सकेगा। आईये बिहार सरकार की इस योजना के बारे जानते हैं कि इसमें आवेदन कैसे करना है। साथ ही आवेदन करने के लिए किन-किन दस्तावेजों की आवश्यकता लाभार्थियों को होगी।

बिहार के अति पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति वर्ग के किसानों के लिए बिहार सरकार के पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग ने “तालाब मात्स्यिकी विशेष सहायता योजना” शुरू की है। इसके तहत मछली पालन के लिए तालाब बनाने, बोरिंग पंपसेट की स्थापना और मत्स्य इनपुट सहित सभी संबंधित मंदों के लिए लागत खर्च पर पिछड़ा वर्ग/अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति वर्ग के किसान और मजदूरों को सब्सिडी दी जाएगी। राज्य के सभी अनुसूचित जाति, जनजाति, अति पिछड़ा वर्ग के किसान और मछली पालन करने वाले मजदूर इस योजना का लाभ लेने के पात्र हैं। तालाब मात्स्यिकी विशेष सहायता योजना का लाभ केवल उसी लाभार्थी को दिया जाएगा, जिन्होंने राज्य की स्वीकृत या पठारी क्षेत्र तालाब निर्माण आधारित योजना का लाभ पहले नहीं लिया है।

बिहार के पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग द्वारा संचालित तालाब मात्स्यिकी विशेष सहायता योजना का लाभ लेने के लिए एससी, एसटी और अति पिछड़ा वर्ग के किसानों के पास न्यूनतम 0.4 एकड़ स्वयं की भूमि होनी चाहिए। एक लाभार्थी ने भूमि लीज पर ली हुई है, तो वे भी इस योजना में आवेदन कर सकते हैं। आवेदनकर्ता के पास एक एकड़ खुद की जमीन होनी चाहिए। लाभार्थी के पास स्वयं की भूमि का मालगुजारी रसीद या भू स्वामित्व का प्रमाण पत्र होना चाहिए। अगर किसान ने जमीन लीज पर ली है, तो लीज की जमीन के लिए जरूरी दस्तावेज में एक हजार रुपए के नोन जुडीशियल स्टांप पर कम से कम 9 साल का एकरारनामा जरूरी है। इन सभी जरूरी दस्तावेजों की आवश्यकता लाभार्थी को आवेदन के समय पड़ेगी। लाभार्थी का चयन उप मत्स्य निदेशक की अध्यक्षता में चयनित कमेटी के माध्यम से किया जाएगा।

तालाब मात्स्यिकी विशेष सहायता योजना बिहार का लाभ लेने के लिए लाभार्थी अंतिम तिथि 30 अगस्त तक मत्स्य निदेशालय, बिहार की वेबसाइट https://fisheries.bihar.gov.in/ पर जाकर आवेदन कर सकते हैं। इच्छुक लाभार्थी खुद या ग्राहक सेवा केंद्र की मदद से भी ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। योजना की अधिक जानकारी के लिए लाभार्थी अपने जिले के मत्स्य संसाधन विभाग से भी संपर्क कर सकते हैं। बिहार से मछली पड़ोसी राज्य पश्चिम बंगाल और नेपाल भी भेजी जाती है। अभी तक राज्य में मछली की मांग पूरी करने के लिए लगभग 800 करोड़ की मछली आंध्रप्रदेश आदि राज्यों से मंगानी पड़ती थी। बिहार में जरूरत पूरी होने के साथ मछली का उत्पादन भी बढ़ा है। वर्ष 2022-23 में पूरे राज्य में मछली उत्पादन 8 लाख 46 हजार टन मिला। 2021-22 में 7.61 लाख टन की तुलना में यह 85 हजार टन अधिक है। बिहार में सालाना 8.02लाख टन मछली की जरूरत है। अब उत्पादन अधिक होने से जरूरत से 44 हजार टन अधिक मछली मिली है।

About admin

Check Also

बिहार : ज्यादा पैदावार वाली मक्का की नई किस्म की खोज

बिहार में सुबौर एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने मक्का की ज्यादा पैदावार वाली एक नई …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *