उत्तराखंड के 95 में से 71 विकासखंडों में खेती पूरी तरह से वर्षा पर निर्भर है। समय पर वर्षा हो गई तो ठीक, अन्यथा बिन पानी सब सून। पर्वतीय क्षेत्र में कृषि के सामने खड़ी इस चुनौती से पार पाने के लिए प्रदेश सरकार के प्रयास अब रंग लाए हैं। इस कड़ी में राज्य की ओर से केंद्र सरकार को विश्व बैंक से वित्त पोषण के लिए ‘उत्तराखंड जलवायु अनुकूल बारानी कृषि परियोजना’ का प्रस्ताव भेजा गया था। एक हजार करोड़ की इस परियोजना को विश्व बैंक ने स्वीकृति दे दी है। इसके धरातल पर उतरने से पर्वतीय क्षेत्र में बारानी खेती को नई ऊंचाईयों पर ले जाने में मदद मिलेगी।
उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में बारानी खेती को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के उद्देश्य से बनाई गई 1,000 करोड़ रूपये की यह परियोजना जलागम विभाग द्वारा क्रियान्वित की जायेगी।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार वैश्विक स्तर पर हो रहे जलवायु परिवर्तन, अधिक ग्रीन हाऊस गैस उत्सर्जन से वैश्विक स्तर पर अनिश्चित मौसम चक्र/घटनाओं से सभी देश प्रभावित हैं। हमारा राष्ट्र भी सीओपी-26 एग्रीमेंट का प्रतिभागी है।
प्रस्तावित परियोजना गतिविधियों से न सिर्फ कलस्टर स्तर पर विश्वसनीय फसल आधारित मौसम सलाहकार सेवाओं के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग, फसलों, सब्जियों और फलों के लिए जलवायु अनुकूल पैकेज का विकास संभव हो सकेगा।
परियोजना क्षेत्र में उच्च मूल्य संरक्षित कृषि कलस्टरों की स्थापना के साथ-साथ स्थानीय कृषकों की वित्तीय तथा तकनीकी सहायता में पूर्णतः सक्षम एवं क्रियाशील 5 कृषि व्यवसाय केंद्रों की स्थापना भी हो सकेगी। इसके अतिरिक्त जल उत्सर्जन में 4 प्रतिशत की वृद्धि, मृदा क्षरण में 15 प्रतिशत की कमी तथा बारानी फसलों में 20 प्रतिशत एवं सिंचित फसलों की उत्पादकता में 50 प्रतिशत की वृद्धि जैसे लक्ष्य प्राप्त किए जा सकेंगे।