मक्का को सिर्फ आहार के रूप में ही इस्तेमाल नहीं किया जाता है बल्कि स्टार्च, तेल, प्रोटीन, दवा, कॉस्मेटिक, कपड़ा, गम, पेपर और पैकेज जैसे उद्योगों के लिए भी मक्का कच्चा माल है| यहीं कारण है कि इसकी मांग किसी न किसी रूप में हमेशा बनी रहती है. मक्का के आटे या दाने जो हम बाजार से लाते हैं, वे कई चरण के बाद उस रूप में पहुंचते हैं| दाने अलग करने के बाद भुट्टों का भी इस्तेमाल हो जाता है|
कटाई के बाद मक्का के भुट्टों में काफी नमी होती है इसलिए उन्हें सूखने के लिए रखा जाता है| सुखाने के लिए काफी ज्यादा जगह की जरूरत होती है| ज्यादातर किसान इसे छत पर या आंगन में सुखाना पसंद करते हैं|
लेकिन कई बार किसानों को बारिश के वजह से परेशानी होती है| यहीं वजह है कि आज के समय में मक्का सुखाने के लिए मशीनें तैयार हो चुकी हैं| फसल के समय अक्सर मक्के के भाव गिर जाते हैं| इससे बचने के लिए किसान मक्के से दाने निकालने के बाद कोल्ड स्टोरेज में रख देते हैं और समय-समय पर दाम बढ़ने के साथ बिक्री करते हैं|
किसानों ने उपज से अधिक लाभ लेने के लिए मशीनों का सहारा लेने लगे हैं| कृषि वैज्ञानिकों ने मक्के की खेती को लाभदायक बनाने के लिए तमाम मशीनें विकसित की हैं| इसमें आटा बनाने वाली एक छोटी मशीन भी शामिल है| इस मशीन के सहारे किसान छोटे स्तर पर घर में ही आटा बना लेते हैं और स्थानीय बाजारों में बिक्री करते हैं|
मक्का एक ऐसा खाद्यान्न है जो मोटे अनाज की श्रेणी में आता तो है परंतु इसकी पैदावार पिछले दशक में भारत में एक महत्त्वपूर्ण फसल के रूप में मोड़ ले चुकी है|
यह फसल सभी मोटे व प्रमुख खाद्दानो की बढ़ोत्तरी दर में सबसे अग्रणी है। आज जब गेहूँ और धान मे उपज बढ़ाना कठिन होता जा रहा है, मक्का पैदावार के नये मानक प्रस्तुत कर रही है जो इस समय बढ्कर 5.98 तक पहुँच चुका है।