हरियाणा में किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य पर बाजरा खरीदने की मांग कर रहे हैं। सरकारी खरीद न होने से किसानों को खुलें बाजार में अपनी उपज बेचने को मजबूर हैं। मोटे अनाजों के घोषित साल -२०२३ में बाजरा एक प्रमुख फसल है।
बाजरा अब हरियाणा के बाजारों और मंडियों में आने लगा है। कम सिंचाई में पैदा होने वाली बाज़ारा की हरियाणा के कई जिलों में अच्छी खेती की जाती है। न्यूनतम समर्थन मूल्य पर बाजरा खरीदने की मांग को लेकर भारतीय किसान यूनियन (चढूनी) के नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को एक खाता लिखकर एक-एक पखवाड़े में बाजरा की सरकारी खरीद शुरू कराने की है।
गौरतलब है कि हरियाणा में सूरजमुखी की बंद हो गई सरकारी खरीद को लेकर हरियाणा किसान यूनियन ने पानीपत जिले में आन्दोलन किया था। उत्तर प्रदेश, पंजाब, राजस्थान और मध्यप्रदेश के किसानों के साथ हरियाणा के किसानों ने एकजुट होकर आन्दोलन कि या था। पांच दिन
बाद खट्टर-सरकार ने किसानों की मांग मानते। हुए सूरजमुखी की खरीद शुरू करा दी थी। अब किसानों ने बाजरे के समर्थन मूल्य को लेकर आवाज उठाई है।
भारतीय किसान यूनियन नेता गुरनाम सिंह चढूनी चढूनी ने कहा कि मंडियों में बाजरे की फसल की आवक को देखते हुए इसकी न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सरकारी खरीद अगले 15 दिन में शुरू की जाए। हरियाणा प्रमुख बाजरा उत्पादक है। बाजरा का मोटे अनाजों में अहम स्थान है। मोटे अनाजों को लेकर देश में इन दिनों काफी चर्चा हो रही है। इसे लोगों की थाली तक पहुंचाने की कोशिश की जा रही है लेकिन अगर किसान एमएसपी से कम दाम पर इसे बेचने के लिए मजबूर होंगे तो फिर मिलेट ईयर का उन्हें क्या फायदा होगा। किसानों को फायदा तो तब मिलेगा जब उनकी फसल की पूरी खरीद होगी।
हरियाणा के 13 जिलों में बाजरा की फसल बोई गई है। इनमें पलवल, रेवाड़ी, महेंद्रगढ़, चरखी दादरी, , भिवानी, झज्जर,गुरुग्राम, मेवात, रोहतक, हिसार, फतेहाबाद, सिरसा और जींद शामिल है। राज्य में इस साल 11,89,214 एकड़ क्षेत्र में इसकी बुवाई हुई है। हालांकि अमेरिकन सुंडी के अटैक की वजह से तीन लाख एकड़ से अधिक क्षेत्र में फसल खराब हो चुकी है। ऐसे में अगर अब सरकार खरीद भी समय पर नहीं करेगी तो किसानों को और नुकसान होगा।