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उत्तर प्रदेश : हज़ारों महिलाएं तैयार कर रही हैं गन्ने की नई किस्मों की पौध

ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं के स्वयं समूह गन्ने की नई किस्मों की पौध तैयार करके अपने जीवन में मिठास घोल रही हैं। सूबे में गन्ना विभाग राष्ट्रीय खाद्य संरक्षण योजना के तहत ग्रामीण महिलाओं को प्रशिक्षण दे रहा है ताकि वे बीज वितरण के लिए सर्वोत्तम गन्ना नर्सरी तैयार कर सकें। इस योजना के माध्यम से अब तक 58,905 ग्रामीण महिलाओं को स्वरोजगार प्रदान किया गया है और कुल 1,52,440 कार्य दिवसों का रोजगार सृजित किया गया है।

यूपी के 37 गन्ना उत्पादक जिलों में 3,004 महिला स्वयं सहायता समूहों का गठन किया गया है, महिला उद्यमियों द्वारा गठित इन समूहों के माध्यम से 24 करोड़ से अधिक पौधे तैयार किए गए हैं, जिससे उन्हें प्रति समूह 1.70 लाख रुपये की औसत वार्षिक आय प्राप्त होती है। प्रवक्ता.

इसके अलावा महिला स्वयं सहायता समूह द्वारा तैयार पौधों की रोपाई से उनके परिवार के सदस्यों को कुल 1.70 करोड़ रुपये की आय भी प्राप्त हुई है।

उत्तर प्रदेश में नगदी फसल के रूप में बड़े पैमाने पर गन्ने की खेती होती है। लगभग 46 लाख किसान परिवारों की आजीविका का यही प्रमुख स्रोत है। प्रदेश के 37 प्रमुख गन्ना उत्पादक जिलों में स्वयं सहायता समूहों के जरिये उन्नत प्रजाति के पौध (सीडलिंग) तैयार करने से करीब 60 हजार महिलाओं को स्वरोजगार मिला है। इस काम से अब तक लगभग 4 लाख मानव दिवसों का सृजन हो चुका है। चूंकि ये महिलाएं उन्नत किस्म के गन्ने की प्रजातियों के पौध तैयार करती हैं, लिहाजा गन्ने की उपज, रकबा, चीनी का परता और अंततः इस सबके जरिये गन्ना किसानों की आय बढ़ाने में भी योगदान दे रहीं हैं।

इसके माध्यम से न केवल ग्रामीण महिलाओं को स्वरोजगार एवं आय का अतिरिक्त जरिया मिला है, बल्कि गुणवत्तापूर्ण बीज की त्वरित उपलब्धता भी सुनिश्चित हुयी है। सीडलिंग से कम बीज से अधिक आच्छादन किया जाना भी संभव हो रहा है।

योजना के तहत अब तक प्रदेश के 37 गन्ना उत्पादक जिलों में 3,003 महिला स्वयं सहायता समूहों का गठन किया जा चुका है। इन समूहों के माध्यम से अब तक चार करोड़ सीडलिंग का उत्पादन किया जा चुका है। जिससे उन्हें लगभग 6478 लाख रुपये तथा प्रति समूह औसतन 75 हजार से 27 लाख रुपये प्रतिवर्ष की आय प्राप्त हुयी ह इसके अतिरिक्त महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा तैयार किये गये पौधों के खेत में रोपाई कराने के लिए उनके परिवार के सदस्यों को भी लगभग 1.70 करोड़ रुपये आय प्राप्त हुयी है।

इस योजना से अब तक 58,905 ग्रामीण महिलाओं को स्वरोजगार उपलब्ध हुआ है तथा कुल 3,70,600 कार्य दिवस का रोजगार सृजित हुआ है। समूहों द्वारा उत्पादित सीडिलिंग की बोआई से कुल 9,265 हेक्टेयर
रकबे में गन्ने की नयी प्रजातियों खास तौर पर नवीन गन्ना किस्मों (कोशा 13235, कोशा 14201, कोशा 15030 आदि) का आच्छादन हुआ है।PHOTO CREDIT – google.com

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