युक्रेन और रूस, दुनिया में सबसे ज्यादा गेहूं पैदा करने वाले देश है। भारत में भी गेहूं की पैदावार कम नहीं होती है लेकिन लगातार मौसम चक्र बदला और फिर भारत में गेहूं का उत्पादन सरकारी अनुमान से कम निकला। भारत में गेहूं की अभी बिजाई तीन महीने बाद होगी। भारत में गेहूं के दाम लगातार बढ़ रहे हैं। ऐसे में उम्मीद है कि भारत अब कीमतों पर लगाम लगाने के लिए रूस से गेहूं मंगाकर देश के भंडार भर सकता है।
एक रिपोर्ट के अनुसार सरकारी सौदे के माध्यम से भारत रूस से 9 मिलियन टन गेहूं आयात करने की योजना बना रहा है।रिपोर्ट में कहा गया है कि, गेहूं का अखिल भारतीय उपभोक्ता थोक मूल्य 2 अगस्त को 6.2 प्रतिशत बढ़कर 2,633 रुपये प्रति क्विंटल हो गया, जो एक साल पहले 2,480 रुपये था।
भारत- सरकार द्वारा भंडारण सीमा लागू करने और घरेलू उत्पादन में कमी की चिंताओं के बीच खुले बाजार में व्यापारियों को अनाज बेचने के बाद से कीमतें बढ़ रही है। रिपोर्ट में कहा गया है कि, अनाज और उत्पादों में भारत की खुदरा मुद्रास्फीति जून में 16.3 प्रतिशत थी और वित्त वर्ष 2024 में जून के अंत तक थोक संचयी मुद्रास्फीति 7.6 प्रतिशत थी।कम उत्पादन, घटते स्टॉक और बढ़ती मांग के चलते गेहूं की कीमत में वृद्धि को बढ़ावा दिया है।
केंद्र सरकार ने 2023 में भारत का गेहूं उत्पादन रिकॉर्ड 112.7 मिलियन टन होने का अनुमान लगाया है, लेकिन व्यापारियों और मिल मालिकों का अनुमान है कि उत्तरी, मध्य और पश्चिमी मैदानी इलाकों में फरवरी और मार्च में बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि के कारण फसल 101-103 मीट्रिक टन होगी।उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण राज्य मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति ने 2 अगस्त को लोकसभा में अपने लिखित उत्तर में कहा कि, गेहूं की खुदरा कीमतें लगातार बदल रही है और सरकार कीमतों पर बारीकी से नजर रख रही है।
जनवरी में गेहूं का औसत खुदरा मूल्य 31.58 रुपये प्रति किलोग्राम था, जो मई में घटकर 28.74 रुपये प्रति किलोग्राम हो गया। इसके बाद जुलाई में इसकी औसत खुदरा कीमत बढ़कर 29.59 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई। एक रिपोर्ट के अनुसार, रूस के काला सागर अनाज सौदे से बाहर निकलने से मुद्रास्फीति का जोखिम बढ़ गया है क्योंकि रूस और यूक्रेन गेहूं और सूरजमुखी तेल के दुनिया के सबसे बड़े आपूर्तिकर्ता हैं।